Chhath Puja Aarti: इस आरती के बिना छठ पूजा मानी जाती है अधूरी, यहां पढ़ें छठी मईया और सूर्यदेव की पूरी आरती
Chhath Puja Aarti: आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है, इसके बाद सप्तमी तिथि 20 नवंबर दिन सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर आयु- आरोग्यता, यश का आशीर्वाद लेंगे. इस आरती के बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है.
Chhath Puja 2023 Aarti: आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को रवियोग में नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है. आज छठ पर्व का तीसरा दिन है. आज षष्ठी तिथि दिन रविवार (19 नवंबर) की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है, इसके बाद सप्तमी तिथि 20 नवंबर दिन सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर आयु- आरोग्यता, यश का आशीर्वाद लेंगे. इस दिन भगवान सूर्य व माता छठी की पूजा की माताएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए और परिवार में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहे, इसलिए यह कठिन उपवास रखती हैं. छठी मैया की आरती के बिना यह उपवास सफल नहीं होता है. यहां से पढ़ें छठी मईया और सूर्यदेव की पूरी आरती
छठ मईया की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
Also Read: Chhath Puja 2023: छठ पूजा का आज दूसरा दिन, शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत, जानें मुख्य बातें
Surya Dev ki Aarti: सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: