Chhath Puja Samagri List: महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को रवियोग में नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है. आज छठ पर्व का दूसरा दिन है. आज व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगे. षष्ठी यानी रविवार (19 नवंबर) की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. अनुष्ठान के अंतिम दिन सप्तमी सोमवार 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घदेकर आयु- आरोग्यता, यश का आशीर्वाद लेंगे. छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देव की अराधाना की जाती है, इस पर्व की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस पर्व का मुख्य दिन होता है कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि. छठ पूजन के लिए सिंदूर, थाली, लोटा, चावल, शकरकंद, हल्दी, शहद, ठेकुआ का प्रसाद समेत अन्य सामग्री की आवश्यकता होती है. यहां देखें छठ पूजा की सामग्री लिस्ट…
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकटी, सूप, बांस या पीतल के बने 3 सूप, लोटा, थाली, दूध, जल के लिए ग्लास, चावल, सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, बड़ा वाला मीठा नींबू , शहद की डिब्बी, पान, साबुत सुपारी, कैटाव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई, दीपक, घी-बाती, बड़ा वाला मीठा नींबू, शटीफा, अरबी, शरीफा समेत अन्य फल.
Also Read: Chhath Puja 2023: छठ पूजा का आज दूसरा दिन, शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत, जानें मुख्य बातें
-
छठ पर्व के दिनों में घर के लोग सात्विक भोजन करें.
-
व्रती महिला या पुरुष सूर्य देव को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें.
-
छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय भूलकर भी इसे जूठा न करें, छोटे बच्चों को प्रसाद बनाते समय दूर रखें .
-
छठ पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी या पीतल का ही इस्तेमाल करना चाहिए . स्टील या शीशे के बर्तन का इस्तेमाल ना करें.
-
प्रसाद शुद्ध घी में ही बनाया जाना चाहिए
-
छठ पूजा में काले रंग के कपड़े ना पहने.
-
छठ घाट या रास्ते में भूल कर भी गंदगी ना फैलाएं .
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
-
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:
-
ॐ सूर्याय नम:
-
ॐ भानवे नम:
-
ॐ खगाय नम:
-
ॐ घृणि सूर्याय नम:
-
ॐ पूष्णे नम:
-
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
-
ॐ मरीचये नम:
-
ॐ आदित्याय नम:
-
ॐ सवित्रे नम:
-
ॐ अर्काय नम:
-
ॐ भास्कराय नम:
-
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम: