Chhath Sandhya Arghya 2021: अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को दिया जाएगा आजपहला अर्घ्य,देखें पूजा विधि,व्रत का महत्व
Chhath Sandhya Arghya 2021 Significance And Importance: नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला छठ पर्व चार दिनों का होता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है. जानें क्या है इसका महत्व और पूजा विधि
Chhath Sandhya Arghya 2021 Significance And Importance: छठ पर्व आरंभ हो गया है और इस पर्व (Chhath Puja 2021) के प्रति लोगों के मन में विशेष आस्था है. यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है और इसलिए इसे छठ पर्व कहा जाता है.
नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला छठ पर्व चार दिनों का होता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है. छठ पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. ये तिथि इस बार 10 नवंबर को पड़ रही है. मुख्य रूप से इस पर्व को बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है.
Chhath Sandhya 2021: संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य समय
10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : 05:30 AM
11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : 05:29 PM
Chhath Sandhya 2021: छठ पूजा सामग्री
नए वस्त्र, बांस की दो बड़ी टोकरी या सूप, थाली, पत्ते लगे गन्ने, बांस या फिर पीतल के सूप, दूध, जल, गिलास, चावल, सिंदूर, दीपक, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, अदरक का हरा पौधा, नाशपाती, शकरकंदी, हल्दी, मूली, मीठा नींबू, शरीफा, केला, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गुड़, चावल का आटा, गेहूं.
Chhath Sandhya 2021: व्रत का महत्व
छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. इस त्योहार के दौरान लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं. इस त्योहार के दौरान पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है और एक साथ ही सूर्य देव की प्रार्थना करता है. इसलिए धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से इस त्योहार का हमारे समाज में महत्वपूर्ण योगदान है.
कर्ण से जुड़ी सूर्य देव की पूजा की कहानी
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा की थी और कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. वह प्रतिदिन कई घंटों तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की अराधना किया करते थे और उन्हें अर्घ्य देते थे.