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सीतापुर में अब तक अजेय हैं भूपेश बघेल सरकार के खाद्य-आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत, ऐसा है पॉलिटिकल करियर

छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य-आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत लगातार चार बार से एक ही विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर रहे हैं. वर्ष 2003 में पहली बार वह चुनाव लड़े थे. इसके बाद से आज तक वहां से नहीं हारे. अमरजीत भगत के राजनीतिक करियर के बारे में विस्तार से यहां पढ़ें.

Chhattisgarh Election : अमरजीत भगत छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण एवं संस्कृति विभाग के मंत्री हैं. लगातार चार बार एक ही सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित सीट सीतापुर से अमरजीत भगत वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक लगातार जीते हैं. कांग्रेस के पुराने नेता हैं. मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष, सरगुजा जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष, जिला वनोपज संघ के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के लघु वनोपज संघ के सदस्य रह चुके हैं.

थाईलैंड और दुबई की कर चुके हैं यात्रा

सरगुजा जिले के पार्वतीपुर गांव में दखलू राम के घर 22 जून 1968 को जन्मे अमरजीत भगत ने बीए तक की पढ़ाई की है. 14 फरवरी 1998 को उनका विवाह हुआ. पत्नी का नाम कौशिल्या भगत है. उनका जन्म एक अप्रैल 1970 को हुआ. अमरजीत और कौशिल्या के तीन पुत्र हैं. अमरजीत भगत का पेशा कृषि है. भ्रमण, मनोरंजन एवं कविता में उनकी रुचि है. थाईलैंड और दुबई की यात्रा कर चुके हैं.

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2003 से लगातार जीत रहे हैं सीतापुर (एसटी) सीट से

वर्ष 2003 में पहली बार सीतापुर (एसटी) विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. इसके बाद वर्ष 2008, वर्ष 2013 और वर्ष 2018 में भी इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया. वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत से सत्ता में लौटी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें भूपेश बघेल के मंत्रिमंडल में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण, संस्कृति विभाग का मंत्री बनाया गया.

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लंबा है अमरजीत भगत का करियर

उनका लंबा राजनीतिक करियर रहा है. छत्तीसगढ़ विधानसभा की कई समितियों के सदस्य रहे. वर्ष 2004 में पटल पर रखे गये पत्रों के परीक्षण करने संबंधी समिति के सदस्य रहे. वर्ष 2006 से 2007 तक सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति के सदस्य रहे. 2007-08 में पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति, तो वर्ष 2008-09 में आचरण समिति, वर्ष 2009-10 में अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी समिति, नियम समिति के सदस्य रहे.

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विधानसभा की कई समितियों में रहे सदस्य

वर्ष 2011-13 में गैरसरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति के सदस्य रहे. वर्ष 2014-15 में प्राक्कलन समिति और याचिका समिति के सदस्य रहे. वर्ष 2015-16 में उन्हें विशेषाधिकार समिति, पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया. वर्ष 2016-17 में लोक लेखा समिति के सदस्य बनाये गये. इसके साथ-साथ सुविधा एवं सम्मान समिति में भी सदस्य रहे.

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कार्यमंत्रणा समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य

वर्ष 2017-18 में सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का सदस्य उन्हें बनाया गया. वर्ष 2018-19 में गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया. इसी दौरान वह सुविधा एवं सम्मान समिति के भी सदस्य रहे. वर्ष 2019-20 में कार्यमंत्रणा समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य बनाये गये.

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अमरजीत भगत को मिले सबसे ज्यादा 56.56 फीसदी वोट

अमरजीत भगत ने सीतापुर (एसटी) विधानसभा सीट पर वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा 56.56 फीसदी वोट हासिल कर विधायक बने. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रो गोपाल राम को पराजित किया था. इस विधानसभा क्षेत्र में 1,88,476 वोटर मतदान के लिए पंजीकृत थे. इनमें से 1,53,223 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इस तरह यहां कुल 81.30 फीसदी वोटर्स ने मत डाले.

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सीतापुर (एसटी) में तीसरे नंबर पर रहा नोटा

कांग्रेस नेता अमरजीत भगत को यहां सबसे ज्यादा 86,670 वोट प्राप्त हुए थे. दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रो गोपाल राम रहे. उनको 50,533 वोट मिले, जो कुल वोट का 32.98 फीसदी है. वहीं, अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी (जे) के उम्मीदवार सेतराम बारा को 2,495 वोट मिले, जो कुल वोट का 1.63 फीसदी है. सेतराम बारा के पक्ष में जितने लोगों ने मतदान किया, उससे ज्यादा लोगों ने नोटा का बटन दबाया. सीतापुर में 5,189 लोगों ने नोटा दबाया, जो कुल वोट का 3.39 फीसदी है.

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छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में हो सकते हैं चुनाव

छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने की संभावना है. सभी पार्टियों ने अभी से एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है. बीजेपी फिर से छत्तीसगढ़ में सत्ता में लौटने के लिए जी-जान से जुटी हुई है, तो कांग्रेस अपनी सत्ता बचाये रखने की जुगत में लगी है.

15 सीटों पर सिमट गयी थी बीजेपी

वर्ष 2018 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 68 सीटें जीतीं थीं. लगातार 15 साल तक सरकार चलाने वाली बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी. बीजेपी सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गयी थी. बीएसपी के दो विधायक थे, जबकि जेसीसी (जे) के पांच विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इस वक्त सदन में कांग्रेस के 71 और बीजेपी के 13 विधायक हैं.

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