कलकत्ता हाईकोर्ट में दो जजों के बीच विवाद पर बोले चीफ जस्टिस- ऐसी घटना स्वीकार्य नहीं, मैं शर्मिंदा हूं
हाइकोर्ट के दो जजों के बीच टकराव सामने आने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की. मेडिकल कॉलेज में दाखिले से जुड़ा मामला फिलहाल हाईकोर्ट से हटा लिया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है.
पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में एकल न्यायाधीश की पीठ और खंडपीठ के बीच मनमुटाव पर मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने प्रतिक्रिया दी. इस घटना को लेकर उन्होंने नाराजगी जतायी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जो कुछ हुआ उससे मैं दुखी और शर्मिंदा हूं. कानून के मंदिर में ऐसी चीजों की उम्मीद नहीं की जाती है. कलकत्ता हाईकोर्ट देश की सबसे प्रतिष्ठित अदालतों में से एक है, इसलिए जो परिस्थिति पैदा हुई है, उसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने कहा कि हम स्थिति को सामान्य करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि स्थिति फिर से सामान्य हो जायेगी.
न्यायाधीश ने कहा : घटना से मैं शर्मिंदा हूं
हाइकोर्ट के दो न्यायाधीशों के बीच अभूतपूर्व विवाद को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इस घटना से शर्मिंदा हैं. साथ ही यह भी कहा कि समस्या का जल्द समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून के इस मंदिर में ऐसी घटना स्वीकार योग्य नहीं है. हाईकोर्ट के दो जजों के बीच टकराव सामने आने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की. मेडिकल कॉलेज में दाखिले से जुड़ा मामला फिलहाल हाईकोर्ट से हटा लिया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है.
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टकराव का मूल कारण एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश है
उल्लेखनीय है कि दो न्यायाधीशों के बीच टकराव का मूल कारण 24 जनवरी को न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश है, जिसमें राज्य में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र के उपयोग से जुड़े मामले में सीबीआइ जांच का निर्देश दिया गया है. हालांकि, बुधवार (24 जनवरी) को डिविजन बेंच से कोई लिखित आदेश न मिलने पर न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने सीबीआइ को एफआइआर दर्ज कर जांच आगे बढ़ाने को कहा था. 25 जनवरी को, जब मामला फिर से न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ के पास भेजा गया, तो उन्होंने एफआइआर को खारिज कर दिया. यहीं से मतभेद गंभीर रूप ले लिया.
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कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष लंबित सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी
जब खंडपीठ द्वारा एफआइआर खारिज करने की जानकारी न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की पीठ तक पहुंची, तो उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी और उन्होंने जस्टिस सेन के खिलाफ कई आरोप लगाये. इस घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अभूतपूर्व मतभेदों का स्वत: संज्ञान लिया और 27 जनवरी को शीर्ष अदालत की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली द्वारा जारी सीबीआइ जांच के निर्देशों सहित कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष लंबित सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी.