Bihar News : छपरा में पांच साल पहले मृत समझ कर जिसे नदी में बहाया वह बच्चा लौटा घर, परिजनों के छलके आंसू

छपरा में पांच सालों से पुत्र के वियोग में तड़प रही मां के सामने जब उसका लाल आया, तो उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली. बच्चे को देखकर परिजन व गांव के लोग भावुक होकर रो पड़े.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2022 8:05 PM
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छपरा में मंगलवार को मृत्यु के पांच साल बाद एक लड़के के वापस आने की खबर से आसपास के लोग गांव में इकट्ठे हो गए. दरअसल 6 साल की उम्र में लड़के को सांप ने डंसा था जिसके बाद उसे मृत समझकर परिजनों ने गंडक नदी में प्रवाहित कर दिया था.

पिछले पांच सालों से पुत्र के वियोग में तड़प रही मां के सामने जब उसका लाल आया, तो उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली. बच्चे को देखकर परिजन व गांव के लोग भावुक होकर रो पड़े. हालांकि कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है की महिला अंधविश्वास में ऐसा कह रही है.

2017 में खेलने के दौरान सांप ने डस लिया था

प्रखंड की तरैया पंचायत की अंतिम सीमा पर अवस्थित गंडार ब्रह्मस्थान दक्षिण टोला निवासी हरेंद्र महतो की पत्नी सुनीता देवी ने बताया कि उसे दो पुत्र व एक पुत्री है. पुत्री अंजली कुमारी सबसे बड़ी है और पुत्रों में अंकित कुमार बड़ा व कृष्णा कुमार सबसे छोटा है. वर्ष 2017 में सावन के महीने में कृष्णा कुमार घर के समीप पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर खेल रहा था. इसी दौरान उसकी अंगुली में सांप ने डस लिया. झाड़-फूंक कराया और डॉक्टर को दिखाया तो बोले कि वह मर चुका है. इसके बाद गांव वालों ने केले के थंब पर प्लास्टिक में नाम-पता के साथ बच्चे को भलुआ चंचलिया गंडक नदी में प्रवाहित कर दिया गया था.

निशान देखकर मां ने पहचाना 

सुनीता देवी ने बताया कि कुछ दिनों के बाद पता चला कि कृष्णा जिंदा है. उसी समय से जहां से कुछ जानकारी मिलती थी, वहां जाकर खोज रहे थे. पांच साल बीत जाने पर थक-हार कर अब खोजबीन करना छोड़ दिया था. दो दिन पहले फिर जानकारी मिली कि इसुआपुर के विशुनपुरा में कृष्णा घूम रहा है. मां की ममता नहीं मानी और उसे खोजते हुए वह विशुनपुरा पहुंची, तो कृष्णा मिल गया. उसने अपनी मां को नहीं पहचाना, लेकिन मां उसके नाक के पास काला मस्सा व दाढ़ी के नीचे कटे का निशान देखकर पहचान गयी और रोते हुए घर लेकर पहुंची.

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गांव के लोगों ने पहचान लिया कृष्णा को

सुनीता देवी के पति हरेंद्र महतो मजदूरी करने असम के डिब्रूगढ़ गये हुए हैं. जब परिजनों ने उनको मोबाइल पर सूचना दी, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ. वह भी पांच साल के बाद पुत्र को जिंदा सुनकर रो पड़े और तत्काल वहां से आने की बात बतायी. घर के पास पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर केसरिया रंग की टी-शर्ट व जिंस पहने बैठा कृष्णा गांव के बच्चों को नहीं पहचान पा रहा था. वहीं, टोले की महिलाएं, बच्चे व वृद्ध उसे देखने के लिए इकट्ठा हुए थे और सभी लोग उसको पहचान रहे थे.

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