WB News: दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर एडिनो का खतरा अधिक, पर डरने की जरुरत नहीं, जानिए क्यों
पश्चिम बंगाल में एडिनो वायरस का कहर बढ़ते जा रहा है. अब डॉक्टरों ने बताया है कि यह वायरस दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है. हालांकि इससे डरने की जरुरत नहीं है.
कोलकाता. दो साल से कम उम्र के बच्चे एडिनो वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, लेकिन अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि 90 प्रतिशत मामलों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है, हालांकि सावधानी बरतनी चाहिए. ये बातें विशेषज्ञों ने कहीं. एम्स, जोधपुर से जुड़े जानेमाने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमारेंदु सिंह ने कहा कि अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें.
एडिनो से नहीं है डरने की जरुरत
डॉ सिंह ने ‘‘कोविड के विपरीत, 10 साल से कम उम्र के बच्चे एडीनोवायरस के प्रति संवेदनशील होते हैं, उनमें भी दो वर्ष से कम आयु के बच्चों अधिक संवेदनशील होते हैं जबकि दो से पांच वर्ष बीच की आयु वाले अपेक्षाकृत कम संवेदनशील होते हैं.’’ पश्चिम बंगाल सहित देश में एडिनो वायरस के मामलों में हालिया बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए, जिसमें बच्चे प्रभावित हुए हैं, उन्होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि इस तरह की बढ़ोतरी हर साल सर्दियों से वसंत तक मौसम में बदलाव के दौरान होती है.
एडिनो से होती है श्वसन संबंधी बीमारी
एडिनो वायरस से आमतौर पर श्वसन संबंधी बीमारियां होती हैं, जिसमें सामान्य सर्दी, निमोनिया आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल एडिनो वायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है जो सर्दी या इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी का कारण बनता है. उन्होंने कहा, ‘‘एडिनो वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के लिए कोई स्वीकृत एंटीवायरल दवा या विशिष्ट उपचार नहीं हैं. लगभग 90 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वाले होते हैं और आराम के अलावा बुखार कम करने वाली पेरासिटामोल जैसी दवा दी जा सकती है.
भाप लेने से मिल सकती है राहत
भाप लेने और सांस या नेबुलाइज़्ड ब्रोन्कोडायलेटर से भी राहत मिल सकती है.’’ उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से प्रभावित कुछ बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है. उन्होंने बच्चे को मनोवैज्ञानिक सदमे से बचाने के लिए बच्चे के साथ उसकी मां को रखने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “बच्चों को अपने हाथ अच्छी तरह से धोने चाहिए और खांसी और जुकाम से पीड़ित व्यक्तियों के पास नहीं जाना चाहिए.” पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में एडिनो वायरस मामलों में बढ़ोतरी की खबरों के बीच कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि ‘‘राज्य में स्थिति नियंत्रण में है.’’ कोलकाता में राष्ट्रीय हैजा और आंत्र रोग संस्थान को जनवरी से भेजे गए कम से कम 32 प्रतिशत नमूनों में एडिनो वायरस की पुष्टि हुई है.