Christmas 2023 : चक्रधरपुर में 120 साल पहले पड़ी कैथोलिक चर्च की नींव
फादर मुलैन्डर एसजे के चर्च स्थापित करने के सपने को साकार करने के लिए एम गोथोलस ने सन् 1892 में तीन एकड़ जमीन खरीदी थी. वर्तमान में इसी जमीन पर खड़ा कैथोलिक चर्च यीशु के प्रेम, त्याग और दया के संदेश को बांट रहा है.
चक्रधरपुर में कैथोलिक चर्च का इतिहास धीरे-धीर डेढ़ शताब्दी की ओर बढ़ रहा है. इस चर्च को नींव 120 साल पहले पड़ी थी. फादर मुलैन्डर एसजे के चर्च स्थापित करने के सपने को साकार करने के लिए एम गोथोलस ने सन् 1892 में तीन एकड़ जमीन खरीदी थी. वर्तमान में इसी जमीन पर खड़ा कैथोलिक चर्च यीशु के प्रेम, त्याग और दया के संदेश को बांट रहा है.
यद्यपि 1887 से ही चक्रधरपुर में बसे
कैथोलिक ईसाई प्रभु यीशु की प्रेम ज्योति से आलोकित हो रहे हैं. इसी वर्ष मोनसिनोर गोथोलस ने चक्रधरपुर में एक छोटा सा घर खरीदा था. 1888-89 में फादर मुलैन्डर एसजे बंगाल-नागपुर रेलवे के प्रथम पुरोहित बने. उन्हें रेलकर्मियों का आत्मिक उत्थान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. फादर को अपने बीच आत्मिक सहायक व अगुवा के रूप में पाकर लोग इतने प्रसन्न हुए कि उन्हें एक बंगला दान में दे दिया. 1890 में फादर मुलैण्डर एसजे बंदगांव से चक्रधरपुर आ गए. वै चक्रधरपुर में एक गिरजाघर बनाने का सपना देख रहे थे. 1891 में बीमार होने के कारण फादर मुलैण्डर को कोलकाता लौटना पड़ा. वहां डाक्टरों के परामर्श पर वे वापस यूरोप लौटने लगे. हालाकि रास्ते में ही उनका कोलम्बो में निधन हो गया. इधर, चक्रधरपुर में गिरजाघर बनाने के लिए मोनसिनार गोथोलस ने 1892 में तीन एकड़ जमीन ली. वर्तमान में इसी जमीन पर गिरजाघर को भव्य कर इमारत खड़ी है.
1892 में कैथोलिक विश्वासियों की मात्र 205 थी संख्या
चक्रधरपुर में वर्ष 1892 तक कैथोलिक विश्वासियों की संख्या मात्र 205 थी. असुविधा के कारण 1902 से 1940 तक पुरोहित चाईबासा से आकर चक्रधरपुर के विश्वासियों को सुसमाचार सुनाते थे. मिस्सा पूजा और प्रार्थना सभा रेलवे स्कूल या रेलवे इन्स्टीट्यूट में हुआ करती थी. गिरजाघर के निर्माण को धन संग्रह हेतु फादर निओ डिजारडिन एसजे, बीडी मेलो, एस. डीसिल्वा व डुल्लिन्द ने हाउजी, व्होट्स आदि खेलों का आयोजन किया. 1941 में गिरजाघर के निर्माण का कार्य पूरा हुआ. इसी साल पुरोहितों के लिए पहली बार रहने का आवास का भी निर्माण हुआ. 1951 में फादर डिजारिडन स्थायी रूप से चक्रधरपुर में रहने के लिए आ गए. पर 1953 में उनका देहांत हो गया. 1953 में फादर निजओ फादर डिजारडिन के अधूरे कार्य को पूर्ण करने चक्रधरपुर पहुंचे. इनके कार्यकाल में बल्ली विद्यालय शुरू करने की पहल हुई व पेरिश गायक दल का गठन हुआ. 1956 में फादर फ्रैंक मैकगोली ने पेरिश के लोगों के लिए गोरेटो का निर्माण कराया. वे खेलों, विशेषकर बाक्सिंग के जरिये युवाओं का दिल जीतने लगे. फादर मैकगोली ही तमाम आदिवासियों को ईसाई धर्म ग्रहण कराया था.
1960 में फादर मैकगोली ने राजापारम गांव में कराया था गिरजाघर का निर्माण
1961 में फादर मैकगोली के अथक प्रयास से ही राजापारम गांव के लगभग सभी लोगों ने ईसाई धर्म ग्रहण किया. 1961 में एक छोटा गिरजाघर राजापारम गांव में बनाया गया. फादर निओ ने पेरिश स्कूल की शुरुआत की थी. जबकि फादर मैकगोली ने एर्नाकुलम की कारमेलाइट बहनों के साथ उसे आगे बढ़ाया. 1961 में चक्रधरपुर आई कारमेलाइट बहनों की देखरेख में ही स्कूल पेरिश के बरामदे से सात कमरों की इमारत में परिणत हुआ. फादर मैकगोली के प्रयास से ही पहली बार चक्रधरपुर कैथोलिक ईसाइयों की जनगणना हुई. फादर जान विंगहम ने फादर मैकगोली के साथ मिलकर गांवों में सुसमाचार सुनाया. फादर विंगहम का गांवों में स्लाइड शो के जरिये सुसमाचार सुनाना लोगों को काफी पसंद आया. उन्होंने कुएं एवं तालाब खोदकर लोगों को कृषि कार्य में सहयोग भी दिया. 1965 में फादर जोन गाहडेरा ने पल्ली पुरोहित का पदभार संभाला. फादर जोन गाईडेरा ने पेरिश भवन, बालक छात्रावार, कान्वेंट, कारमेल स्कूल व चांदमारी में संत अंजला अस्पताल के निर्माण में अहम योगदान दिया. 1966 में वर्तमान पेरिश भवन का जीर्णोद्धार किया. 20 मई 1970 को तेलडोंग की उर्मिला बहनों ने चक्रधरपुर आकर कारमेल स्कूल की जिम्मेदारी संभाल ली. स्कूल कारमेलाइट सिस्टरों के जाने के बाद काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा था. इस तरह कारमेल हिंदी माध्यम स्कूल चल पड़ा. 1972 में तेलहोंग उर्मिला बहनों ने संत अंजला अस्पताल का कार्यभार संभाला. 1972 में पल्ल्नी पुरोहित फादर एंथोनी स्वामी ने टेपासाई में पेरिश बनाने की कोशिश प्रारंभ की. 1981 में पल्ली पुरोहित फादर जोन बोदरा ने टोकलो मिशन की शुरुआत की. 9 जून 1983 को टेपासाई पेरिश की स्थापना हुई. 1987 को टोकलो पेरिश की स्थापना हुई. 3 मई 1989 को संत विन्सेंट ही पौल सोसाइटी प्रारंभ हुई. 1998 में फादर विजय ए भट्ट कैथोलिक चर्च के पल्ली पुरोहित बने. वर्ष 2000 में पल्लीवासियों के सामूहिक सहयोग से फादर विजय ए भट्ट के नेतृत्व में नए गिरजाघर का निर्माण हुआ. फादर विजय ने ही संत जेवियर अंग्रेजी माध्यम स्कूल की नींव रखी. वर्ष 2000 में गोईलकेरा पल्ली की भी स्थापना की गई.