क्रिसमस विशेष : प्रभु यीशु ने मानव जाति को दिया प्रेम, दया व शांति का संदेश

करीब दो हजार वर्ष पूर्व यहूदिया के बेथलहम नगर में माता मरियम व पालक पिता संत जोसेफ के घर प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. परम पिता परमेश्वर ने मानव जाति को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु यीशु को धरती पर भेजा.

By Prabhat Khabar News Desk | December 25, 2023 1:42 AM
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गिरिडीह, समशुल अंसारी : करीब दो हजार वर्ष पूर्व यहूदिया के बेथलहम नगर में माता मरियम व पालक पिता संत जोसेफ के घर प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. परम पिता परमेश्वर ने मानव जाति को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु यीशु को धरती पर भेजा. प्रभु ने धरती पर बढ़ते पाप को मिटाने के लिए प्रेम, दया, क्षमा और शांति का संदेश दिया. उनके जन्मोत्सव क्रिसमस यानी बड़ा दिन पर गिरिडीह का मसीही समाज काफी उत्साहित है. संत जोसेफ स्कूल टीकामगहा के फादर स्टीफन ने इस मौके पर प्रभु यीशु के जन्मोत्सव एवं उनके संदेश को साझा किया. उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु हमारे मुक्तिदाता हैं और मानव समाज को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए परम पिता परमेश्वर ने उन्हें धरती पर भेजा.

क्रिसमस ट्री यानी जीवन वृक्ष का महत्व

बड़ा दिन में क्रिसमस ट्री का अपना महत्व है. बताया कि परम पिता परमेश्वर ने अपने आनंद वाटिका में विभिन्न फलदार वृक्ष के साथ जीवन वृक्ष भी लगाया था. जीवन वृक्ष अच्छाई व बुराई को पहचानने वाला वृक्ष था. आनंद वाटिका में लगे सभी पेड़ों के फल के सेवन की अनुमति थी, पर जीवन वृक्ष के फल को खाने पर पाबंदी थी. बावजूद इसके आदम व हौवा ने जीवन वृक्ष का फल खा लिया. इसके बाद मानव जाति में पाप बढ़ने लगा. मानव जाति में बढ़ते पाप को देखते हुए ही ईश्वर ने लोगों को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए अपने पुत्र प्रभु यीशु को धरती पर भेजा. मसीही समाज इस मौके पर चर्च व अपने घरों में क्रिसमस ट्री को सजाते हैं.

स्वर्ग दूत का रूप है चमकीला तारा

परम पिता परमेश्वर ने सर्वप्रथम स्वर्ग दूत को धरती पर भेजकर प्रभु यीशु के धरती पर आगमन का संदेश दिया. प्रभु यीशु के जन्म के समय आसमान में स्वर्ग दूत चमकीला तारा के रूप में चमक रहा था. इस निमित्त मसीही समुदाय के लोग क्रिसमस के मौके पर घर-आंगन व गिरजाघरों में चमकीला तारा बनाकर सजाते हैं.

गोशाला का प्रतीक है चरनी

क्रिसमस के मौके पर घरों व चर्च में चरनी सजाने के खास स्थान की अहमियत होती है. बताते हैं कि गोशाला में बालक यीशु का जन्म हुआ था. इस निमित्त चरनी (गोशाला) बनाने में बड़े से लेकर बच्चे तक सभी हाथ बंटाते हैं. चरनी के ऊपर तारा, चरनी में मां मरियम, पिता जोसफ, भेड़-बकरियां, बालक यीशु के स्वरूपों को सजाया जाता है. चौक-चौराहों पर बजते क्रिसमस सांग में भी चरनी का उल्लेख होता है.

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