केदला (रामगढ़), वकील चौहान. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत केदला कोयलांचल के लोगों की प्यास बुझाने वाली चुटूआ नदी का अस्तित्व खतरे में है. यह नदी भितिया पहाड़ से निकली है, जो कई पहाड़ों व कई गांवों के आसपास से गुजरते हुए बोकारो जिले के दनिया के पास बोकारो नदी में जाकर मिली है. सरकार के सर्वे व नक्शा में ये नदी वर्ष 1909-10 से है. एक सौ फीट से अधिक चौड़ी नदी बसंतपुर से लेकर इचाकडीह तक करीब दो किलोमीटर तक कई जगहों पर सिमटती दिख रही है. कई जगहों पर मोरम व ईंट के टुकड़े देकर नदी को भरा जा रहा है. नदी में लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के लिये बांध भी बना दिया है.
वरदान है चुटूआ नदी का पानी
चुटूआ नदी का पानी पूरी तरह से शुद्ध है, जिसके कारण कोयलांचल के लोग पीने से लेकर सभी कार्यों में इसका उपयोग करते हैं. इस नदी के पानी पर बसंतपुर, इचाकडीह, लईयो उत्तरी पंचायत के करीब अधिकांश लोग आश्रित हैं. नदी कोयलांचल के लोगों के लिये वरदान है. बंसतपुर निवासी खुशीलाल महतो, किशुन महतो, इचाकडीह निवासी मनोज रजवार, पूर्व मुखिया सीमा देवी, लईयो उत्तरी पंचायत के मुखिया मदन महतो, गोविंद महतो, सुनील मिश्रा सहित अन्य लोगों ने बताया कि चुटूआ नदी के पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. इस कारण नदी के आसपास गांव के लोग पानी पीते हैं. दूर-दराज के लोग गैलन में भरकर मोटरसाइकिल व ऑटो से पानी अपने घर लाते हैं.
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सिंचाई में किसानों को मिलती है मदद
लोगों ने कहा कि इस नदी में बरसात के समय बालू का बहाव होता है. लईयो, परेज, इचाकडीह, रहावन, पचमो, हुरदाग, बसंतपुर, केदला बस्ती, जितराटांगरी सहित आसपास के गांव के लोगों को घर बनाने में आसानी होती है. बालू कम से काम कीमत पर मुहैया हो जाता है. क्षेत्र का अधिकतर घर चुटूआ नदी के बालू से बना हुआ है. उन्होंने कहा कि नदी के पानी से कई गांव के किसान खेती करते हैं. लोगों ने कहा कि नदी को बचाना काफी जरूरी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
मांडू बीडीओ सुधीर प्रकाश ने कहा कि चुटूआ नदी मामले पर सीओ से बात की जायेगी और सीओ से चुटूआ नदी की जांच करायी जायेगी. बांध बनाने सहित अन्य समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जायेगा, वहीं मांडू सीओ जय कुमार से फोन पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.