धनबाद में 64 सिटी बसें हो गयीं कंडम, अब 120 इलेक्ट्रिक व सीएनजी बसें उतारने की तैयारी
120 इलेक्ट्रिक व सीएनजी बस को लेकर संशय व्यक्त करने वाले लोगों का तर्क है कि वर्ष 2010 में इसी तरह लगभग 14 करोड़ की लागत से 70 सिटी बसों की खरीद की गयी थी. बसें खरीद तो ली गयीं, पर ना तो उनके चलने का रूट तय हुआ और ना ही जवाबदेही और प्लानिंग.
धनबाद शहर में आमजनों को आसान परिवहन सुविधा देने के लिए एक बार फिर से कवायद शुरू हो गयी है. इस बार 120 इलेक्ट्रिक व सीएनजी बसें जिले की सड़कों पर उतारने की तैयारी है. ये बसें जिले के सभी रूटों पर चलेंगी, ताकि लोगों को हर वक्त और सस्ते दर पर यातायात का साधन मिल सके. इसके लिए निगम ने 548 करोड़ का रिवाइज्ड डीपीआर मुख्यालय भेजा है. वहां से स्वीकृति मिलने पर पीपीपी मोड पर चलाने के लिए टेंडर निकलेगा. यह तैयारी शहर को जाम से मुक्ति और लोगों को सस्ते दर पर परिवहन की सुविधा दिलाने के लिए की जा रही है. निगम की इस मंशा को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गयी है. एक तरफ जहां कुछ लोग इसे बेहतर पहल करार दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ का कहना है कि यह योजना भी सफेद हाथी साबित होगी.
बिना चले बसें हो गयीं कंडम
120 इलेक्ट्रिक व सीएनजी बस को लेकर संशय व्यक्त करने वाले लोगों का तर्क है कि वर्ष 2010 में इसी तरह लगभग 14 करोड़ की लागत से 70 सिटी बसों की खरीद की गयी थी. बसें खरीद तो ली गयीं, पर ना तो उनके चलने का रूट तय हुआ और ना ही जवाबदेही और प्लानिंग. इसका नतीजा यह हुआ कि इनमें से 64 बसें खड़ी-खड़ी कंडम हो गयीं. आज तक इसके लिए कोई जवाबदेह भी नहीं ठहराया जा सका है.
क्या था मामला
जब 70 सिटी बसें खरीद कर आयीं, तो उनको चलाने के लिए पहले भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति को सौंपा गया. जब यह समिति फेल हो गयी, तो इसको चलाने की जवाबदेही झारखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट को सौंपी गयी. कुछ दिनों तक सब ठीक रहा, फिर यह भी फेल हो गया. हालत यह थी कि सभी 70 बसें सड़क पर उतर भी नहीं पायीं थीं. जब रखे-रखे खराब होने लगीं, तो सभी बसों को धनबाद नगर निगम को हैंडओवर कर दिया गया. इस बीच लंबे समय तक बरटांड़ बस स्टैंड में खड़ी रहने के कारण किसी बस से बैटरी चोरी हो गयी, तो किसी का पहिया. इस पर तत्कालीन नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप ने मरम्मत करा कर महिला समिति को लगभग 20 बसों को हैंडओवर किया. लेकिन यह व्यवस्था भी ठीक से नहीं चली और एक के बाद एक सभी बसें स्टैंड में खड़ी हो गयीं. फिलवक्त इनमें से छह बसों का परिचालन हो रहा है.
नयी व्यवस्था से सुधार का दावा
इलेक्ट्रिक व सीएनजी बसों से शहर को जाम से निजात दिलाने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि हर पांच से दस मिनट के अंतराल पर हर रूट के लिए बस चलेगी. दिल्ली की एजेंसी क्रेडिबल ने रिवाइज्ड डीपीआर तैयार कर मुख्यालय भेज दिया है. इसमें कुछ नये रूट का निर्धारण, बस स्टॉप, चार्जिंग स्टेशन आदि भी जोड़ा गया है. इस क्रम में 120 बसों की खरीदारी, सर्विस स्टेशन व बस स्टॉप के लिए 548 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है.
जिन रूटों पर चलेंगी बसें
बसों के परिचालन के लिए जो रूट तय हैं उसमें धनबाद से मैथन, गोमो, तोपचांची, कतरास, महुदा, सिंदरी, बलियापुर, गोविंदपुर और टुंडी शामिल है. इस रूट पर 350 बस स्टॉपेज बनाये जायेंगे. बरटांड़ बस स्टैंड में बनेगा बस टर्मिनल. इसके लिए सिटी मास्टर प्लान में दस वर्षों का खाका खींचा गया है. इसके लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 54 करोड़ रुपये धनबाद नगर निगम को मिलेंगे. बसों के संचालन के लिए एक दर्जन से अधिक टर्मिनल और चार्जिंग स्टेशन बनेंगे. एक बस की लागत लगभग 25 से 30 लाख रुपये होगी. बस पड़ाव के लिए छोटे-छोटे टर्मिनल बनेंगे. धनबाद शहर, झरिया, सिंदरी, मैथन, चिरकुंडा, तोपचांची, गोमो, गोविंदपुर आदि में टर्मिनल होंगे. इसके अलावा गैरेज व सर्विस सेंटर भी बनेगा. शहर के बाहर बड़ी और शहर के अंदर छोटी बसों का संचालन होगा.
350 स्टॉपेज की सुविधा होगी
इन बसों के परिचालन के लिए 350 बस स्टॉप बनाये जायेंगे. इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक बसों के लिए जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन बनाये जायेंगे.
कहते हैं अधिकारी
इलेक्ट्रिक बस का रिवाइज्ड डीपीआर मुख्यालय भेजा गया है. मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद पीपीपी मोड पर टेंडर निकलेगा. इलेक्ट्रिक बस के परिचालन से शहर में जाम की समस्या से निजात मिलेगी.
-महेश्वर महतो, अपर नगर आयुक्त