झारखंड: दहेज हत्या के 2 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा, अदालत ने लगाया 10 हजार रुपये जुर्माना
मृतका के पिता सलीम अंसारी ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उसकी पुत्री सकीना खातून की शादी वर्ष 2011 में सिराज मियां के पुत्र जुबेर अंसारी के साथ मुस्लिम रीति रिवाज से हुई थी. शादी के छह माह तक उसे ससुराल में ठीक से रखा गया. इसके बाद दो लाख दहेज की मांग की जाने लगी और प्रताड़ित किया जाने लगा.
कोडरमा, विकास. दहेज की खातिर जयनगर की नवविवाहिता सकीना खातून की हत्या करने के मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने सोमवार को दो दोषियों (पति जुबैर अंसारी व सास नुरेशा खातून) को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अजय कुमार सिंह की अदालत ने यह फैसला दो लाख रुपये दहेज नहीं देने पर नवविवाहिता की हत्या कर साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से लाश को कुएं में फेंके जाने के मामले की सुनवाई के बाद सुनाया. अदालत ने दोनों दोषियों को 304बी के तहत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 498 ए में प्रताड़ित करने का दोषी पाते हुए तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा मुकर्रर की़ इसके साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया़ जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी़ 201 आईपीसी में साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए तीन वर्ष सश्रम कारावास व दस हजार जुर्माना लगाया गया. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
कुएं में मिली थी बेटी की लाश
जानकारी के अनुसार घटना 10 सितंबर 2014 की है. उस समय मृतका के पिता सलीम अंसारी ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उसकी पुत्री सकीना खातून की शादी वर्ष 2011 में चदरा पिपराडीह थाना जयनगर निवासी सिराज मियां के पुत्र जुबेर अंसारी के साथ मुस्लिम रीति रिवाज से हुई थी. शादी के छह माह तक मेरी पुत्री को ससुराल में ठीक से रखा गया. इसके बाद दो लाख दहेज की मांग जेसीबी खरीदने के लिए की जाने लगी, नहीं दिए जाने पर उसे प्रताड़ित किया जाने लगा. इसे लेकर तीन-चार बार गांव में पंचायत भी की गयी, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. 10 सितंबर 2014 को ग्रामीणों के द्वारा सूचना दी गई कि उसकी पुत्री की लाश कुएं में है़
हत्या के बाद पुत्री की ससुराल के लोग थे फरार
सूचना मिलने पर जब वह अपने परिजन के साथ वहां पहुंचे तो देखा कि पुत्री की लाश कुएं में है. बाद में वहां से निकाला गया. पुत्री की ससुराल के सभी लोग गांव छोड़कर भाग गए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि पुत्री के पति जुबैर अंसारी, ससुर सिराज मियां, सास नूरेशा खातून व अन्य लोगों ने दहेज की खातिर उसकी पुत्री की हत्या कर साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से कुएं में शव को फेंक दिया. अदालत में अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक पीपी मंडल ने किया. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जगदीश यादव ने दलीलें पेश कीं.