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पंजाब में सियासी दिग्गजों के दावों की निकली हवा, नई-नवेली ‘आप’ के आगे नहीं चल पाया कोई तोड़-तिकड़म

पंजाब में इस साल के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, शिरोमणि अकाल दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई सियासी दिग्गजों की चालें धरी की धरी रह गईं.

Punjab election 2022 Results : पंजाब में 117 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के आगे सूबे के तमाम सियासी दिग्गजों के दावों की हवा निकल गई. कांग्रेस के आपसी सिर-फुटौव्वल और दूसरे दलों की आपसी धींगामुस्ती में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के ‘दिल्ली के गवर्नेंस मॉडल’ के आगे इन सारे दिग्गजों का तोड़-तिकड़म नहीं चल सका. इसी का नतीजा है कि अरविंद केजरीवाल के आप ने इस विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है.

सिद्धू, चन्नी, बादल, मजीठिया की धरी रह गईं चालें

पंजाब में इस साल के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, शिरोमणि अकाल दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई सियासी दिग्गजों की चालें धरी की धरी रह गईं. शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा, शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला जैसे नेताओं को आप के नए-नवेले प्रत्याशियों के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

91 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा

खबर लिखे जाने तक पंजाब के कुल 117 विधानसभा सीटों में आम आदमी पार्टी ने 91 सीटों पर करीब-करीब कब्जा जमा लिया है. वहीं, सूबे में अब तक सत्तासीन कांग्रेस 17 सीटों पर ही जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की है, जबकि पंजाब की सशक्त घरेलू पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को 7, भाजपा को दो और अन्य को दो सीटों पर बढ़त बनी हुई है. पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए 20 फरवरी को मतदान हुआ था और गुरुवार की सुबह आठ बजे से ही मतगणना जारी है.

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कैप्टन पर भारी पड़ा कांग्रेस को छोड़ना

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए पीसीसी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सरकार के खिलाफ बागी तेवर के बाद सीएम के पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस छोड़ना भारी पड़ गया. हालांकि, इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के साथ गठजोड़ किया था, लेकिन वे अपनी खुद की पटियाला की परंपरागत सीट को भी बचा नहीं पाए और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजीत सिंह कोहली के हाथों करीब 13000 से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा. पटियाला के शाही परिवार के वंशज सिंह ने 2002, 2007, 2012 और 2017 में कांग्रेस की टिकट पर पटियाला सीट से चुनाव जीता था.

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