झारखंड: जलवायु परिवर्तन की समस्या पर क्या बोले राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक केएन गोविंदाचार्य?

केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि न्यूयॉर्क शहर के चौराहे पर एक घड़ी लगाई गई है, जो जलवायु संकट की स्थिति को दर्शाती है. दिल्ली के कई शिशु रोग विशेषज्ञों ने परिवर्तन के इस दौर में बालकों को वर्ष में दो माह दिल्ली से बाहर रहने की अपील की है, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.

By Guru Swarup Mishra | November 4, 2023 6:57 PM
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पूर्वी टुंडी(धनबाद), भागवत दास: राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के पूर्वी भारत के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन शनिवार को शंकरडीह स्थित शाश्वत वाटिका में राष्ट्रीय चिंतक सह राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक के एन गोविंदाचार्य ने किया. इस मौके पर एकलव्य विद्यालय की संथाली बालिकाओं ने नागपुरी नृत्य प्रस्तुत किया. चेतना शोध संस्थान शाश्वत वाटिका शंकरडीह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के पूर्वी भारत प्रशिक्षण वर्ग का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व के समक्ष जलवायु परिवर्तन की समस्या है. इसके समाधान के लिए प्रकृति केंद्रित विकास की संकल्पना आवश्यक है. जलवायु परिवर्तन से विश्व में कई समस्याएं पैदा हुई हैं. दिल्ली के कई शिशु रोग विशेषज्ञों ने परिवर्तन के इस दौर में बालकों को वर्ष में दो माह दिल्ली से बाहर रहने की अपील की है, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि न्यूयॉर्क शहर के चौराहे पर एक घड़ी लगाई गई है, जो जलवायु संकट की स्थिति को दर्शाती है. जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए मानवता के पास जो समय बचा है, उसे वह घड़ी दर्शा रही है कि प्रति सेकंड, प्रति मिनट, प्रति घंटे समय घटता जा रहा है, जो 31 दिसंबर 2030 को शून्य हो जाएगा.

प्रकृति केंद्रित विकास का मॉडल अपनाना होगा

राष्ट्रीय चिंतक सह राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि अगर तब तक मानव नहीं संभले तो जलवायु परिवर्तन के संकट से बचना मानव समाज के लिए मुश्किल हो जाएगा. इसलिए प्रकृति केंद्रित विकास का मॉडल हमें अपनाना होगा. यही इसका एकमात्र उपाय है. आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बासवराज पाटिल ने अपने संबोधन में कहा कि अंधाधुंध विकास की होड़ में हमलोगों ने प्रकृति के साथ अन्याय किया है. यही कारण है कि आज जलवायु परिवर्तन का दौर चला है. यदि हम अभी भी नहीं चेते तो मानव सभ्यता का विनाश तय है.

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व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में लगेंगे कार्यकर्ता

चेतना शोध संस्थान के संस्थापक एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के पूर्वी भारत संरक्षक शैलेंद्र ने अतिथियों का स्वागत किया और प्रशिक्षण वर्ग की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कार्यकर्ता गांव में जाएंगे और व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में लगेंगे. संगठन के कार्यकारी संयोजक सुरेंद्र सिंह बिष्ट एवं भाजपा नेता हरिप्रकाश लाटा ने हमारा लक्ष्य व्यवस्था परिवर्तन विषयक सत्र को संबोधित किया और वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में बदलाव के कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए. तृतीय सत्र में राष्ट्रीय सहसंयोजक पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण सत्यमूर्ति एवं विलियम हांसदा ने परिचय सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के कार्यकर्ताओं को उनके कर्तव्यों और अधिकारों का बोध कराया.

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कार्यक्रम को इन्होंने किया संबोधित

संचालन विमल कुमार, स्वागत गीत गया की ललिता देवी एवं धन्यवाद ज्ञापन संगठन सचिव गजाधर विद्रोही ने किया. कार्यक्रम को समाजसेविका मधु सिंह, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सुबई खान, कृष्ण लाल रुंगटा, महेंद्र अग्रवाल, प्रसून हेंब्रम, एससन लाल त्यागी आदि ने संबोधित किया. इस तीन दिवसीय आयोजन में किरीट चौहान, सरोज महतो, रमेश रूज, पदो मरांडी, हेनो लाल हेंब्रम, रविंद्र मुर्मू, सुखदेव प्रसाद, डॉ श्रीनिवास मेहता, हजरत अली, सुबोधन मुर्मू, रवींद्रनाथ मुर्मू, तोपचांची प्रमुख आनंद कुमार, विमल शर्मा, सुनीता कुमारी, तुरसा बेसरा आदि सक्रिय हैं जबकि प्रशिक्षण वर्ग में बिहार समेत कई अन्य राज्यों से कार्यकर्ता शामिल हैं.

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