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बीरभूम : पंचामी कोयला परियोजना के लिए जबरन नहीं होगा खनन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया आश्वासन

पंचामी कोयला परियोजना को लेकर बुधवार को नवान्य में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदिवासी समुदाय के जीवन जीविका और प्रकृति बचाओ महासभा के प्रतिनिधियों को समस्या का समाधान निकालने आश्वासन दिया था.

बीरभूम : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में महत्वाकांक्षी देउचा पंचामी कोयला परियोजना को लेकर चलाए जा रहे आदिवासी समुदाय के आंदोलन में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आश्वासन के बाद आंदोलनकारी संगठन जीवन जीविका और प्रकृति बचाओ महासभा के नेताओं ने कदम वापस लेने का फैसला किया है. महासभा के प्रतिनिधिमंडल को ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया है कि पंचामी परियोजना के लिए जबरन खनन नहीं किया जाएगा.

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, बीरभूम में देउचा में पंचामी कोयला परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आश्वासन के बाद प्रशासनिक अधिकारी आदिवासियों की मांग पर अमल करना शुरू कर दिया हैं. इस मामले को लेकर देउचा पचामी के आदिवासी समुदाय में अटकलों का बाजार गर्म है. हालांकि, खबर यह है कि इस कोयला परियोजना के पक्ष में आदिवासियों में गोलबंदी भी शुरू हो गई है.

बताया जा रहा है कि पंचामी कोयला परियोजना को लेकर बुधवार को नवान्य में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदिवासी समुदाय के जीवन जीविका और प्रकृति बचाओ महासभा के प्रतिनिधियों को समस्या का समाधान निकालने आश्वासन दिया था. इसके बाद बीरभूम जिला प्रशासन इन दो-चार लोगों से बात कर मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे है, जो अब भी मोहम्मद बाजार के देउचा पचामी से प्रतिबंध हटाने के फैसले के खिलाफ थे.

बताया यह भी जा रहा है कि जीवन जीविका और प्रकृति बचाओ महासभा अब इस लड़ाई से हट रही है. इस लड़ाई से दूर जाने के लिए एक औपचारिक बयान दिया है. नेताओं ने कहा कि गुरुवार को मोहम्मद बाजार के बारोमेसिया में मंच पर बनी सहमति के आधार पर निर्णय लिया गया. बुधवार को स्थानीय लोग और महासभा के सदस्य मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करने नवान्य पहुंचे थे. सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि परियोजना को जबरन शुरू नहीं किया जाएगा. आंदोलनकारियों की मांगों को भी गंभीरता से लिया जाएगा.

बुधवार की बैठक के बाद गुरुवार की देर शाम को बीरभूम के मोहम्मद बाजार में हुई बैठक में आंदोलन और धरने से हटने का फैसला लिया गया. आंदोलनकारी संगठन महासभा की ओर से सादी हांसदा, रतन हेम्ब्रम ने कहा कि बुधवार को मुख्यमंत्री के साथ आमने-सामने की बैठक में हम अपनी मांग रखने में सफल रहे. उन्होंने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है. इसलिए अभी इस स्तर पर स्थिति की कोई प्रासंगिकता नहीं है. हालांकि, महासभा का एक धड़ा आंदोलन से हटने के पक्ष में नहीं है.

महासभा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि जो लोग आंदोलन समाप्त करने के लिए धरना मंच को हटाने का प्रचार कर रहे हैं, वे जाने-अनजाने में लोगों को गुमराह कर रहे हैं. यह महासभा को भंग करने की साजिश है. देउचा-पंचामी के प्रस्तावित कोयला खनन स्थल बारोमेसिया में निर्धारित स्थल के बाहर महासभा लंबे समय से मंच तैयार कर अपनी मांग पर अड़ी थी. इसे कई सामाजिक संस्थाओं ने बाहर से समर्थन दिया था. 

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बताते चलें कि महासभा मुख्य रूप से क्षेत्र के आदिवासियों को लेकर बनी है. उनके 31 सदस्य बुधवार को मुख्यमंत्री से मिलने कोलकाता गए थे. मुख्यमंत्री ने वहां अपने प्रतिनिधियों से बात की. इस मंच के प्रतिनिधि सादी हांसदा, जगन्नाथ टुडू, गणेश किस्कू, रतन हेम्ब्रम गुरुवार दोपहर आदिवासियों को मामला समझाने पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्र में बलपूर्वक कोयला खनन नहीं होगा.

रिपोर्ट : मुकेश तिवारी

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