पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मणिपुर की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मुझे गुस्सा आ रहा है. उन्होंने कहा कि मणिपुर के भयानक वीडियो को देखकर दिल टूट गया और मन दुखी हो गया है. भीड़ दो महिलाओं के साथ क्रूर व्यवहार कर रही है. यह घटना दुखद और बेहद शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि हमारा दिल रो रहा है. यह अपमानजनक है, भारत का मतलब है मणिपुर. इस तरह की घटना महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है. केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा.
Heartbroken and outraged to witness the horrific video from Manipur showing the brutal treatment of two women by a frenzied mob.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 20, 2023
No words can express the pain and anguish of witnessing the violence inflicted on marginalized women. This act of barbarism is beyond comprehension…
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा केवल एक दलीय शासन के पक्ष में हैं.भारत का मतलब मणिपुर है. मैंने मणिपुर जाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन नहीं मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आपका मणिपुर के साथ बंगाल-छत्तीसगढ़ को जोड़ना गलत है.
Also Read: बीजेपी ने लगाए ममता बनर्जी पर आरोप, कहा- पंचायत चुनाव में हिंसा रोकने के लिए कुछ नहीं कियाममता ने कहा कि हम महिलाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन इस वीडियो को देखकर बहुत दुख हो रहा है. ममता ने कहा कि भारत अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, भारत मणिपुर के पक्ष में है. हम कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ मणिपुर का दौरा करना चाहते हैं, अगर सभी पार्टियां चाहेंगी तो ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि मैंने केंद्र को लिखा था कि मुझे पहले मणिपुर जाने दिया जाए, लेकिन अनुमति नहीं दी गई.
Also Read: पंचायत चुनाव में हिंसा व लूट के लिये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिम्मेदार, बोले शुभेंदु अधिकारी व सुकांत मजूमदारतृणमूल कांग्रेस ने मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष से निबटने के तरीकों की निंदा करते हुए गुरुवार को केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा. तृणमूल ने कहा कि स्वतंत्र भारत की सबसे भयावह और बर्बर घटनाएं मणिपुर में ही हो रही हैं. तृणमूल का यह बयान मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाये जाने का वीडियो सामने आने के बाद आया है. तृणमूल ने आरोप लगाया कि भगवा खेमे ने पूर्वोत्तर राज्य में हुई इस घटना को दबाने की कोशिश की.
तृणमूल के प्रवक्ता साकेत गोखले ने ट्वीट कर कहा, “ मणिपुर के मुख्यमंत्री का दावा है कि महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के बारे में उन्हें अभी पता चला है, जबकि मणिपुर पुलिस का कहना है कि एफआइआर तब ही दर्ज कर ली गयी थी, जब घटना ढाई महीने पहले चार मई को हुई थी. क्या मणिपुर के पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री गंभीर कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर एक-दूसरे से संवाद नहीं करते? या संभव है कि मुख्यमंत्री इस घटना को दबाना चाहते थे और अब वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद पकड़े गये. यह शर्म की बात है.”
Also Read: पंचायत चुनाव से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशिष्ट समय तय करने से हाइकोर्ट ने किया इंकारतृणमूल के अन्य वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता विश्वजीत देव ने कहा कि देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने से किसने रोका है. उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर कहा, ‘‘बेशर्म भाजपा! बेशर्म मणिपुर सरकार! केंद्रीय बल अब कहां हैं? तथ्य-खोज दल कहां हैं? भारत के लोग भाजपा को चुनाव में इसका करारा जवाब देंगे. प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने से किसने रोका है? देश जानना चाहता है.’’
Also Read: 21 जुलाई को TMC की मेगा रैली,महानगर में उमड़ने लगी भीड़,धर्मतल्ला चलो में ममता का जनता के लिये क्या होगा संदेशतृणमूल शुरुआत से ही आरोप लगाती रही है कि भाजपा सरकार की विभाजनकारी नीतियों के कारण मणिपुर में जातीय संघर्ष हुआ है. तृणमूल के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने स्थिति का जायजा लेने के लिए बुधवार को मणिपुर का दौरा किया था और विभिन्न समुदायों के सदस्यों से बातचीत भी की थी. प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहीं तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि मणिपुर में जो हो रहा है, वह काफी भयावह और बर्बरतापूर्ण है. इसके बावजूद भाजपा मूकदर्शक बनी हुई है. तृणमूल ने बुधवार को घटना की निंदा करते हुए कहा था कि पार्टी मणिपुर के मुद्दे को संसद में उठायेगी.
Also Read: बंगाल : 21 जुलाई की सभा में त्रिस्तरीय होगी सुरक्षा व्यवस्था, 5000 पुलिसकर्मी रहेंगे तैनाततृणमूल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी राज्य में कानून व्यवस्था बनाये रखने में अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि आठ जून को पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से राज्य में इतने सारे लोग मारे गये. उन्हें (तृणमूल) पहले इसका जवाब देना चाहिए. यह बंगाल में हुई हिंसा से ध्यान हटाने का एक प्रयास है.
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