Azamgarh News: आजमगढ़ की सगड़ी विधानसभा सीट के लिए सोमवार का दिन काफी खास था. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनपद आए और करोड़ों की परियोजनाओं की सौगात दे गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज आजमगढ़ को 198.58 करोड़ रुपये की 69 परियोजनाओं की सौगातें दीं और यूपी के पिछड़ेपन के लिए पिछली सरकारों पर दोष मढ़ दिया.
आजमगढ़ को उसकी सही पहचान 'आर्यमगढ़' देने का काम हमारी सरकार ने कर दिया है। pic.twitter.com/YDOtOaH0gU
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 6, 2021
जानकारी के मुताबिक, जनपद में सोमवार को दी गईं सौगातों में सीएम योगी आदित्यनाथ की घोषित की गई 69 परियोजनाओं में से 29 परियोजाओं का लोकार्पण और 40 का शिलान्यास शामिल है. साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र भी दिया गया है. सगड़ी के जूनियर हाईस्कूल समुंदपुर परिसर में रैली को संबोधित करते समय सीएम योगी विपक्षी राजनीतिक दलों पर काफी हमलावर नजर आए. उन्होंने यूपी की पहले की सरकारों पर प्रदेश को विकास कार्यों में पीछे रखने का आरोप लगाया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी सरकार गरीब का भला सोचती है. साल 2022 की होली तक सभी को फ्री में राशन मिलेगा. अनाज महीने में दो बार दिया जाएगा. इसका लाभ उत्तर प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को होगा. हालांकि, वे यहां यह कहना नहीं भूले कि पिछली सरकारें सिर्फ अपनी भलाई किया करती थीं. वहीं, चंदौली में रविवार को सपा कार्यकर्ताओं से पुलिस की हुई झड़प को लेकर भी जनता के सामने कहने से नहीं चूके कि सपा का विधायक, जो सत्ता से अभी कोसों दूर है लेकिन अभी से ही सड़कों पर गुंडागर्दी कर रहे हैं. भाजपा की यह सरकार यह गुंडागर्दी कत्तई बर्दाश्त नहीं कर सकती.
इसी क्रम में वे आजमगढ़ के लालगंज विधानसभा क्षेत्र में भी पहुंचे थे जहां उन्होंने 122.43 करोड़ रुपए की लागत की से 37 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया. लाभार्थीपरक योजनाओं के प्रमाण-पत्रों का वितरण भी किया. वहां उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने गरीबों व दलितों की जमीनों एवं व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर कब्जा करके जिस प्रकार की अराजकता पैदा की थी, वह किसी से छुपी नहीं है. वर्ष 2017 के बाद हमारी सरकार ने गुंडागर्दी की कमर तोड़ने का कार्य किया है. उन्होंने कहा, ‘सपा सरकार में रामपुर में दलितों को प्रताड़ित किया जा रहा था और उन्हें उजाड़ा जा रहा था, तब कांग्रेस मौन थी. बसपा भी मौन थी. उन दलितों के लिए केवल भारतीय जनता पार्टी आंदोलन कर रही थी. हमें अत्याचार स्वीकार्य नहीं है.’
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