CMPDI का MECL में होगा विलय, कोयला मंत्री ने दी मंजूरी, यूनियन नेता सरकार के प्रस्ताव का कर रहे विरोध
कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने CMPDI का MECL में विलय करने की अनुमति दी है. इस पर खनन मंत्रालय के निदेशक ने CMPDI और MECL के CMD को पत्र लिखकर सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. विलय का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट में रखा जाएगा.
Jharkhand news: कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई CMPDI का MECL (मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड) में विलय होगा. कोयला, खदान व संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने मर्जर की अनुमति दे दी है. MECL खनन मंत्रालय की एक मिनी रत्न कंपनी है. इसका मुख्यालय नागपुर में है. वर्तमान में इसके करीब 1100 कर्मचारी हैं. MECL ने पिछले वित्त वर्ष में 146 करोड़ का लाभ कमाया था.
पत्र लिखकर सात बिंदुओं पर मांगी जानकारी
मर्जर की अनुमति मिलने के बाद खनन मंत्रालय के निदेशक (तकनीक) प्रदीप सिंह ने CMPDI के CMD और MECL के CMD को पत्र लिखकर सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. श्री सिंह ने 13 अप्रैल को इस बावत पत्र लिखा था. पत्र मिलने के बाद CMPDI के CMD मनोज कुमार ने कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव को 18 अप्रैल को पत्र लिखकर खनन मंत्रालय के निदेशक तकनीक के पत्र पर दिशा-निर्देश मांगा है.
इन बिंदुओं पर मांगी गयी है जानकारी
खनन मंत्रालय के निदेशक (तकनीक) प्रदीप सिंह ने CMPDI से यह जानना चाहा कि कंपनी कब बनी है? अधिकृत पूंजी और चुकता पूंजी क्या है? वर्तमान टर्नआेवर एवं लाभ की स्थिति क्या है? व्यवसाय के अवसर कौन-कौन हैं? वर्तमान एवं भविष्य की श्रम शक्ति की क्या जरूरत होगी. साथ ही संपत्तियों के विस्तार से जानकारी की मांग की गयी है. साथ ही संगठन की भूमिका एवं कार्य की भी जानकारी देने को कहा गया है.
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कोयल मंत्री से अनुमति मिलने के बाद CMPDI को MECL में विलय का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट में जाएगा. कैबिनेट में विचार के बाद ही कंपनी के मर्जर पर अंतिम निर्णय होगा.
यूनियन ने जताया विरोध
कोल वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव डीडी रामनंदन ने विलय के सवाल पर कहा कि यह कोल इंडिया को खत्म करने का खेल है. CMPDI के बाद BCCL और CCL समेत अन्य कंपनियों को कोल इंडिया से अलग किया जाएगा. इसका विरोध होगा.
स्वतंत्र कंपनी बनाने का पत्र नीति आयोग ने किया था जारी
साल 2019 में नीति आयोग ने CMPDI को कोल इंडिया से अलग कर स्वतंत्र कंपनी बनाने का पत्र जारी किया था. कोल इंडिया ने 19 मई, 2020 को एक एक्सपर्ट कमेटी बनायी थी. इसमें कोल इंडिया के जीएम पर्यावरण टीके मुखर्जी, CMPDI के CMD के सचिव (तकनीक) टीएस दुबे, कोल इंडिया के कोल विदेश डिवीजन के सीएम सागर सेन, चेयरमैन सचिवालय के सीएम (सीपी) रथिन मित्रा, कोल इंडिया के प्रबंधक (वित्त) अनिरुद्ध पाल शामिल थे. कमेटी को कोल इंडिया और CMPDI के अंतर निर्भरता का अध्ययन एवं वर्तमान ढांचे का विश्लेषण कर 25 मई, 2020 तक अपनी रिपोर्ट देनी थी. कमेटी ने निर्धारित अवधि में अपनी अध्ययन रिपोर्ट सौंपी दी. इस अध्ययन रिपोर्ट को कोल इंडिया ने कोयला मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया.
Also Read: BCCL में मैनपावर जरूरत से ज्यादा, कई कर्मियों के नौकरी पर गिर सकती है गाज, जानें इसकी बड़ी वजहएक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में स्वतंत्र अस्तित्व को बताया गया था आवश्यक
एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि CMPDI के वर्तमान संरचनात्मक ढांचे को बरकरार रखना कोल सेक्टर एवं पूरे देश के संपूर्ण हित में होगा. CMPDI कोल इंडिया, कोयला मंत्रालय के साथ-साथ अन्य को भी सर्वश्रेष्ठ सेवा दे रहा है. कोल सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए CMPDI का वर्तमान ढांचा सबसे उचित है. देश के कोल सेक्टर को कॉमर्शियल माइनिंग के लिए खोल दिया गया है. ऐसे समय में CMDPI को कोल इंडिया से अलग कर स्वतंत्र कंपनी बनाने की सोच उचित नहीं है. वर्तमान में व्यावसायिक समझौते के तहत CMPDI कोल इंडिया के अलावा कोयला मंत्रालय के अन्य क्लाइंट्स टिस्को, सेल, एनटीपीसी, नालको, ओसीपीएल, महगेनको, जेएसडीएमसी, जीएसइसीएल, जेएसडब्ल्यू, जेएसपीएल, सीएमडीसी के अलावा गैर कोल खनिज के एमओआईएल, एचसीएल, एनएलसी, हूती गोल्ड माइन को सेवा दे रहा है.
रिपोर्ट : सत्येंद्र सिंह, धनबाद.