राजू झा शूटआउट : क्या कॉलिंग ऐप का इस्तेमाल कर रहे हत्यारे! क्यों नहीं मिल पाता है लोकेशन

राजू झा शूटआउट. एक अप्रैल को पूर्व बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ में दुर्गापुर के कोयला कारोबारी राजू झा की अज्ञात बंदूकधारियों ने नृशंस हत्या कर दी थी. मामले को लेकर आज नौ दिन बीत जाने के बावजूद सीट और शक्तिगढ़ थाना पुलिस अबतक अपराधियों का कोई सुराग नहीं लगा पाई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2023 9:14 PM
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बर्दवान, मुकेश तिवारी. एक अप्रैल को पूर्व बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ में दुर्गापुर के कोयला कारोबारी राजू झा की अज्ञात बंदूकधारियों ने नृशंस हत्या कर दी थी. मामले को लेकर आज नौ दिन बीत जाने के बावजूद सीट और शक्तिगढ़ थाना पुलिस अबतक अपराधियों का कोई सुराग नहीं लगा पाई है. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में भी अपराधियों ने उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है. क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों का भी आधुनिकीकरण हुआ है. लेकिन आधुनिक तकनीक के प्रयोग में अपराधी जगत के लोग कुछ कदम अब भी आगे हैं. आगे के ये कुछ कदम अपराधियों और अपराध की रोकथाम के बीच एक बड़ी दूरी पैदा कर रहे हैं. बैंक डकैतियों सहित कुछ प्रमुख अपराधों की हालिया जांच में यह अंतर बहुत स्पष्ट हो गया है. कोयला माफिया राजू झा हत्याकांड में भी अपराधियों द्वारा आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से जांचकर्ताओं का काम मुश्किल हो गया है. हमलावर एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए विशेष कॉलिंग ऐप्स का उपयोग कर सकते हैं. ऐसी संभावनाएं उभर रही हैं क्योंकि जांचकर्ताओं को मोबाइल टावर डंपिंग या कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का विशेषाधिकार नहीं है.

कई हत्याएं, डकैतियां या साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं

साइबर प्रौद्योगिकी के विकास से पूर्व बर्दवान जिला पुलिस सहित विभिन्न जांच एजेंसियों को आधुनिकीकरण किया गया है. कई हत्याएं, डकैतियां या साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं भी सफलता के करीब पहुंच गई हैं. उस मामले में पुलिस की सफलता की कुंजी मोबाइल नंबर ट्रैकिंग थी. अपराध के आयोजन से पहले और उसके बाद की अवधि के दौरान किसी विशेष स्थान के मोबाइल टावरों से कितनी कॉल की गईं, इसकी जानकारी (डंपिंग) जांच के लिए महत्वपूर्ण हो गई. उसके बाद अपराधियों के भागने के संभावित रास्तों के साथ-साथ विभिन्न मोबाइल टावरों के मोबाइल डंपिंग को एकत्रित कर संभावित अपराधियों की पहचान की जाती है. उस नंबर की लोकेशन ट्रैक करके अपराधी को पकड़ा जाता है. वहीं, जांचकर्ताओं ने उसके मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) जुटाए. उसके आधार पर, जांचकर्ता अपराध से जुड़े अन्य लोगों की पहचान भी कर रहे हैं.

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‘सफलता’ कुख्यात अपराधियों के लिए चेतावनी

पुलिस और विभिन्न जांचकर्ताओं की इस तरह की ‘सफलता’ कुख्यात अपराधियों के लिए चेतावनी बन गई है. इसलिए आपराधिक दुनिया के लोग अब मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उनके पास मोबाइल सेट होने के बावजूद वे उनके मोबाइल नंबर से कॉल या कैच नहीं कर रहे हैं. ऐसा करने में विफल रहने पर उस नंबर को मोबाइल टावर पर डंप नहीं किया जाएगा. यानी पुलिस को उस जगह के मोबाइल टावर से अपराधियों का संभावित मोबाइल नंबर नहीं मिल पाएगा. अब अपराधी एक-दूसरे से संपर्क में रहने के लिए अत्याधुनिक कॉलिंग ऐप्स की मदद ले रहे हैं. जो अभी भी सामान्य है. लेकिन साइबर अपराध दमन में शामिल लोगों के लिए भी अपरिचित हो सकता है. ये ऐप जांचकर्ताओं के लिए बातचीत को ट्रैक करना लगभग असंभव बना रहे हैं.

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