डकरा/पिपरवार : झारखंड में शुक्रवार (13 मार्च, 2020) से शुरू हुआ आंधी-बारिश का दौर शनिवार और रविवार को भी जारी रहा. भारी बारिश और ओले गिरने की वजह से खलारी और चतरा से सटे कोयला खदानों में उत्पादन ठप हो गया. कोयले की ढुलाई भी बंद रही.
इस दौरान खलारी के डकरा स्थित मानकी में कई जगहों पर धू-धंसान की घटनाएं सामने आयीं. भू-धंसान की वजह से जमीन से धुआं निकलने लगा और लोग सहम गये. वहीं, दामोदर नदी का डायवर्सन भी बह गया है, जिससे कोयले की ढुलाई प्रभावित हुई है.
मार्च के महीने में जरूरत से ज्यादा बारिश की वजह से डकरा के एनके एरिया के सभी कोयला खदानों में उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया. शनिवार को 12 से 15 एमएम तक बारिश हुई. अमूमन अगस्त के महीने में इस इलाके में इतनी बारिश होती है. इसलिए स्थिति से निबटने की तैयारी खदानकर्मी दो महीने पहले से कर लेते हैं.
मार्च में इतनी बारिश होगी, इसका कोई अनुमान नहीं था. इसलिए उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया. केडीएच खदान में काम तो चल रहा है, लेकिन कार्यस्थल पर पानी जमा है और मोटर फिलहाल खतरे से बाहर हैं. डकरा खदान से मशीनों को हटा लिया गया. पुरनाडीह और रोहिणी में किसी तरह जरूरी काम हो रहे हैं, लेकिन उत्पादन व ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह बंद है.
होल रोड में फिसलन बढ़ जाने से सभी बड़ी मशीनों के मूवमेंट रोक दिये गये हैं. आम जनजीवन भी बारिश से प्रभावित हुआ. सड़कों पर जहां-तहां पानी जमा हो गया. सीसीएल के अधिकारियों ने करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान जताया है. कहा कि पानी रुक भी गया, तो सामान्य उत्पादन में कम से कम एक सप्ताह लग जायेंगे.
बारिश होने से मानकी कॉलोनी और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसान की घटनाएं बढ़ गयी हैं. शनिवार को कई जगहों पर जमीन धंसने की घटनाएं हुईं. जहां भी जमीन धंसी है, वहां से गैस निकल रहा है. आसपास के लोग भू-धंसान की घटना से डरे हुए हैं.
पिपरवार में भारी बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने से अशोक परियोजना के निकट दामोदर नदी पर बना डायवर्सन बह गया. इससे अशोक-आरसीएम साइडिंग की कोयला ढुलाई ठप हो गयी. वहीं, क्षेत्र की अशोक व पिपरवार परियोजना खदानों में उत्पादन कार्य नहीं हो सका.