13.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Code M Tiranga review: परिणीति चोपड़ा की एक्शन थ्रिलर फिल्म से रोमांच और एंटरटेनमेंट है गायब

कमज़ोर कहानी और बेदम स्क्रीनप्ले वाली इस फ़िल्म की बात करें तो कहानी अंडर कवर एजेंट दुर्गा (परिणीति चोपड़ा) की है.जो अफगानिस्तान में भारतीय संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड खालिद उमर (शरद केलकर)के खात्मे के मिशन के लिए पहुंची है.

फ़िल्म- कोड नेम तिरंगा

निर्देशक-ऋभु दासगुप्ता

निर्माता-रिलायंस इंटरटेंमेंट

कलाकार-परिणीति चोपड़ा, हार्डी संधू,शरद केलकर,राजित कपूर, दिव्येंदु भट्टाचार्य और अन्य

रेटिंग-एक

हॉलीवुड फिल्म द गर्ल ऑन ट्रेन के हिंदी रीमेक के बाद निर्देशक ऋभु दासगुप्ता और अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा की जोड़ी ‘एक था टाइगर’,बेबी,नाम शबाना,टाइगर ज़िंदा है का कॉकटेल कोड नेम तिरंगा के ज़रिए लेकर आयी है,लेकिन यह स्पाई थ्रिलर सिर्फ कांसेप्ट लेवल पर इन फिल्मों की बराबरी करती है वरना इन फिल्मों ने जो परदे पर रोमांच और एंटरटेनमेंट को लाया था उसके विपरीत कोड नेम तिरंगा परदे पर बस एक बोझिल अनुभव बनकर रह गयी है.

कमज़ोर है कहानी और बेदम स्क्रीनप्ले

एक जाबांज रॉ एजेंट जो देश के दुश्मनों को दूसरे देशों में घुसकर उनके अंजाम तक पहुंचाता है. यह बीते कुछ वर्षों से हिंदी सिनेमा का पसंदीदा विषय बन गया है. यही कोड नेम तिरंगा की भी कहानी है. बस यहां रॉ एजेंट महिला पात्र है.जो इस फ़िल्म की एकमात्र यूएसपी है, महिला पात्र को एक्शन के ज़रिए सशक्त दिखाने से कोई फ़िल्म सशक्त नहीं हो जाएगी.किसी फिल्म को सशक्त उसकी कहानी और स्क्रीनप्ले बनाता है और यही इस फ़िल्म की सबसे बड़ी कमजोरी रह गयी है.

कमज़ोर कहानी और बेदम स्क्रीनप्ले वाली इस फ़िल्म की बात करें तो कहानी अंडर कवर एजेंट दुर्गा (परिणीति चोपड़ा) की है.जो अफगानिस्तान में भारतीय संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड खालिद उमर (शरद केलकर)के खात्मे के मिशन के लिए पहुंची है,लेकिन इस मिशन को पूरा करने के लिए उसे एक आम आदमी डॉक्टर मिर्जा(हार्डी संधू) को अपने झूठे प्यार में फंसाना पड़ता है. जाहिर है मिशन पूरा नहीं हो पाता है क्योंकि कहानी आगे कैसे बढ़ेगी लेकिन प्यार ज़रूर सच्चा वाला हो जाता है क्योंकि उससे कहानी आगे बढ़ेगी. परदे पर एक साल आगे कहानी बढ़ जाती है .एक साल बाद फिर दुर्गा ,खालिद उमर और डॉक्टर मिर्जा की राहें एक दूसरे से जुड़ती और टकराती हैं. क्या होगा इसका अंजाम,क्या दुर्गा को अपने प्यार की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. यही आगे की कहानी है.

फ़िल्म की कहानी और सिचुएशन अब तक हम कई फिल्मों में देख चुके हैं. कहानी नयापन लिए नहीं है.ऊपर से मामला बोझिल हो गया है.जिस तरह के अजीबोगरीब ट्विस्ट एंड टर्न जोड़े गए हैं.वह पहले ही मालूम पड़ जाते हैं. फ़िल्म के ट्रीटमेंट भी बहुत कन्फ्यूजिंग है.फ़िल्म अपने नाम से देशभक्ति से ओत प्रोत लगती है.शुरुआत भी ऐसे ही होती है,लेकिन बाद में फ़िल्म पर लव एंगल पूरी तरह से हावी हो जाता है. अपने बदले के लिए दुर्गा उमर खालिद को मारती है,यह बात कहानी में साफ तौर पर दिखाया जा रहा है ,लेकिन बैकग्राउंड में वंदे मातरम गीत बजना अजीबोगरीब सा लगता है.

देश के लिए उमर खालिद को मारना ज़रूरी था तो दूसरे एजेंट्स क्यों भारत बिना मिशन को पूरा किए चले जाते हैं.दुर्गा के साथ वह भी उस मिशन को अंजाम दे सकते थे. निर्देशक ने एक किरदार के महिमा मंडन में कहानी के साथ न्याय नहीं किया है. क्लाइमेक्स में दुर्गा का किरदार जिस तरह से आंख में पट्टी बांधकर पहुंचती है.वह भी बचकाना सा लगता है.रॉ ,आईएसआई और आतंकवादियों पर यह फ़िल्म आधारित है लेकिन लोग एक दूसरे से फ़ोन पर बात और मैसेज कर रहे हैं.फ़ोन पर पूरा दस्तावेज रखते हैं. फ़िल्म सिर्फ नाम में कोड है और कहीं कोड नहीं दिखता है.

इन पहलुओं पर भी फ़िल्म गयी चूक

स्पाई थ्रिलर फिल्म की शूटिंग अफगानिस्तान,टर्की जैसे देशों में होती आयी है.ये भी अलग नहीं है. यहां फ़िल्म यह फ़िल्म उन्हीं गलियों और सड़कों पर घूमती दिखी. हां ये ज़रूर है कि सिनेमेटोग्राफी दूसरे पहलुओं के मुकाबले ज़रूर अच्छा है. फ़िल्म के संवाद कहानी की तरह ही कमज़ोर है सिर्फ उनके बोलने में भारीपन का इफ़ेक्ट लाया गया है.गीत-संगीत ठीक ठाक हैं.

निराशाजनक कलाकारों के परफॉर्मेंस भी

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म पूरी तरह से परिणीति चोपड़ा की फ़िल्म है.उनके कंधों पर टिकी हुई है लेकिन वह पूरी तरह से निराश करती हैं.एक्शन दृश्यों में वह फिर भी ठीक रही हैं ,लेकिन इमोशनल और इंटेंस दृश्यों में उनके चेहरे पर लगभग एक ही भाव नज़र आते हैं. हार्डी संधू को ऐसी फिल्मों से बचना चाहिए.83 में उन्होंने अच्छा परफॉर्म किया था.

शरद केलकर के किरदार में नयापन नहीं था.जिससे उनका परफॉर्मेंस निखर कर नहीं आ पाया.दिव्येन्दु को ऐसे किरदार में महारत हासिल है,लेकिन वह अब टाइपकास्ट होते जा रहे हैं. रजित कपूर सहित बाकी के किरदार औसत रहे हैं.

देखें या ना देखें

इस फ़िल्म को ना देखेने में ही समझदारी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें