गोरखपुर. गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन सीबीसीएस (चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) लागू होने के बाद परीक्षा का बोझ कम रहा है. ये जिम्मेदारी अब कॉलेजों को देने जा रहा है. सभी पाठ्यक्रमों में 40 फीसद प्रायोगिक परीक्षा कालेज संपन्न करायेंगे. नई शिक्षा नीति के मुताबिक परीक्षा कराने में कॉलेजों की भूमिका बढ़ायी जानी है. परीक्षा में कोई गड़बड़ी न हो इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय पर होगी. वह कॉलेजों पर नजर रखेगा.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजेश सिंह ने बताया कि परीक्षा में कॉलेजों की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करने की तैयारी है. विश्वविद्यालय परीक्षा की 40% जिम्मेदारी कालेजों को सौंपने जा रहा है. परीक्षा की शुचिता को लेकर विश्वविद्यालय की टीम निगरानी करेगी. निगरानी टीम गठित कर दी गयी है.29 मार्च से शुरू होने वाले स्नातक पाठ्यक्रम की वार्षिक परीक्षाओं के लिए केंद्र बनाने में इस बार भी पारदर्शिताकायम रखने के लिए सख्ती बरती जाएगी.
योजना के मुताबिक सीबीसीएस के तहत प्रायोगिक परीक्षाएं कालेजों द्वारा संचालित कराई जाएंगी. विश्वविद्यालय नकल विहीन परीक्षा कराने को टीम परीक्षा आयोजन को लेकर मार्गदर्शन भी करेगी. स्ववित्तपोषित कालेजों पर इसे लेकर विशेष नजर रहेगी. कालेज विद्यार्थियों को प्रायोगिक परीक्षा में 90% या उससे अधिक अंक देगा तो विवि जरूरत लगने पर दोबारा मूल्यांकन करायेगा. इससे परीक्षाओं को लेकर किसी भी तरह के आरोप भी नहीं लगेंगे. छात्रों को सहूलियत रहेगी.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 29 मार्च से शुरू हो रही स्नातक तृतीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा को लेकर तैयारी पूरी कर ली है.विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुल 140 परीक्षा केंद्र बनाए हैं जिनमें 95000 विद्यार्थी परीक्षा देंगे. विश्वविद्यालय ने उन परीक्षा केंद्रों को दुबारा मौका नहीं दिया है जिनके यहां पिछली बार परीक्षा के दौरान सीसीटीवी कैमरे 10 बार ऑफलाइन मिले हैं. ऐसा ही मामला वित्त पोषित कालेजों में भी हुआ है लेकिन वहां विश्वविद्यालय प्रशासन ने वार्निंग देने के बाद दोबारा परीक्षा केंद्र बनाया है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप