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कॉमर्शियल कोल माइनिंग से देश व जनता को होगा नुकसान : रमेंद्र कुमार

Commercial Coal Mining, AITUC, Ramendra Kumar : हजारीबाग : ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद रमेंद्र कुमार ने कहा है कि 41 कॉमर्शियल कोल माइनिंग से देश की जनता को काफी नुकसान होने वाला है. मोदी सरकार ने वर्ष 2015-19 में 110 कोल खनन क्षेत्र की कैप्टिव माइंस के रूप में नीलामी की है. इनमें से अब तक मात्र 18 कोयला खदानों से उत्पादन शुरू हुआ है. केंद्र सरकार को पहले इन खदानों में उत्पादन शुरू करना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2020 7:57 PM

हजारीबाग : ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद रमेंद्र कुमार ने कहा है कि 41 कॉमर्शियल कोल माइनिंग से देश की जनता को काफी नुकसान होने वाला है. मोदी सरकार ने वर्ष 2015-19 में 110 कोल खनन क्षेत्र की कैप्टिव माइंस के रूप में नीलामी की है. इनमें से अब तक मात्र 18 कोयला खदानों से उत्पादन शुरू हुआ है. केंद्र सरकार को पहले इन खदानों में उत्पादन शुरू करना चाहिए.

वर्ष 1972 से पहले कोयला खदान के मालिक निजी व्यक्ति होते थे. झरिया, रानीगंज, आसनसोल में कोयला खदानों से जैसे-तैसे कोयला निकाला गया. बाकी कोयला में आग लगने पर उसे छोड़ दिया गया. फिर से कोयला खदानों का निजीकरण करने का मन बनाया जा रहा है. सीसीएल में जिस तरह से मजदूरों की सुरक्षा, मजदूरी, सुविधा दी जा रही है, क्या कॉमर्शियल माइनिंग करनेवाले निजी लोग मजदूरों यह सुविधा देंगे.

रमेंद्र कुमार ने कहा कि कोकिंग कोल की कमी देश में है. इस्पात संयंत्रों के लिए विदेशों से कोयला मंगाया जा रहा है, यह सही है. लेकिन, कॉमर्शियल कोल माइनिंग देश व विदेश का कोई भी व्यक्ति ले सकता है. वह कोयला को कहीं भी बेच सकता है. ऐसे निर्णय देशहित में नहीं हो सकते.

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रमेंद्र कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार ने कोयला खान की नीलामी को गैर-कानूनी बताया है. तर्कसंगत मुद्दों पर सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गयी है. केंद्र सरकार ने कोयला खदानों की नीलामी को लेकर 15 मार्च को बने कानून की वैधता 60 दिन थी, जो अब समाप्त हो गयी है.

उन्होंने कहा कि कोयला खदानों की नीलामी के बाद सात साल के बाद उत्पादन शुरू होता है. भाजपा की केंद्र सरकार का एजेंडा कोयला उत्पादन नहीं है, बल्कि राजनीति के लिए पैसा इकट्ठा करना है. लोकतंत्र में इन पैसों को हॉर्स ट्रेडिंग पर खर्च करेंगे. कई राज्यों की सरकारें पैसे के दम पर बदल गयी हैं.

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Posted By : Mithilesh Jha

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