ओडिशा के पुरी शहर के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में लगी भीषण आग को पूरी तरह बुझाने में 36 घंटे लगने की पृष्ठभूमि में जिला प्रशासन ने आग लगने के कारणों तथा इस पर काबू पाने में हुई देरी की जांच के लिए शुक्रवार को एक समिति का गठन किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. जांच टीम का नेतृत्व पुरी के उप जिलाधिकारी करेंगे, जबकि स्थानीय तहसीलदार और स्थानीय नगर थाने के निरीक्षक समिति के सदस्य होंगे. श्री जगन्नाथ मंदिर के पास ही स्थित लक्ष्मी मार्केट परिसर में आग के कारण 43 में से 42 दुकानों को नुकसान हुआ है.
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को इमारत में आग लगने के बाद दमकलकर्मियों ने परिसर से महाराष्ट्र के 106 पर्यटकों समेत करीब 140 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला. अग्निशमन सेवा (मध्य क्षेत्र) के महानिरीक्षक रमेश चंद्र माझी ने कहा, कि यह हमारे लिए एक वास्तविक चुनौती थी, क्योंकि बाजार परिसर में पर्याप्त जगह नहीं थी. मांझी ने सभी भवन मालिकों से ऐसी आपात स्थितियों के लिए खुली जगह रखने और पर्याप्त हवा आने-जाने (वेंटिलेशन) के उपाय करने की अपील की है. इमारत में संकरा रास्ता होने और शटर गिरने से दमकलकर्मियों को परेशानी हुई और वे आग बुझाने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल नहीं कर सके.
होली के मौके पर परिसर की अधिकतर दुकानें बंद थीं. आग और धुएं के संपर्क में आने के कारण तीन व्यक्तियों और कई दमकलकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें पूरी तरह ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है. लक्ष्मी मार्केट में एक बैंक और एक होटल भी है. इस बीच, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी में आग बुझाने के अभियान में लगे लोगों को बधाई दी. पटनायक ने कहा, कि मैं इस हादसे में कीमती जान बचाने के लिए ओडिशा अग्निशमन सेवा के कर्मियों, ओएसडीएमए और पुरी जिले के अधिकारियों को धन्यवाद और बधाई देता हूं.
अग्निशमन सेवा के महानिदेशक एसके उपाध्याय ने पुरी में आग पर काबू पाने को एक चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्य बताते हुए घोषणा की कि पांच अग्निशमन अधिकारियों को अग्निशमन अभियान के दौरान उनके साहस के लिए डीजी डिस्क पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इसके अलावा, आग पर काबू पाने में लगे सभी कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा तय नकद पुरस्कार भी दिये जायेंगे.