गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रही है. ऐसी खबर आ रही है कि गुजरात की बीजेपी सरकार इसके लिए एक कमेटी गठित कर सकती है.
उत्तराखंड की तरह समिति गठित कर सकती है गुजरात सरकार
सूत्रों के हवाले से खबर है कि गुजरात सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के लिए, उत्तराखंड की तरह, एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तहत एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश कर सकती है.
Also Read: गुजरात चुनाव 2022: अब तक 9% महिलाएं भी नहीं पहुंच सकीं विधानसभा, देखें ये आंकड़े
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
समान नागरिक संहिता का मतलब सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून. यानी विवाह, धर्म, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे को लेकर सभी के लिए समान कानून. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होंगे, चाहे वो किसी भी जाति और धर्म से क्यों ने हों. मालूम हो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू किया गया है.
गुजरात चुनाव में बीजेपी की दांव से आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका
गुजरात चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाने जा रही आम आदमी पार्टी के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बड़ा झटका साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी से दो कदम आगे निकले की तैयारी कर रही है. लेकिन अगर बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता लागू कराने में सफल रहती है, तो यह आप के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. अगर आप इसका समर्थन करती है, तो बीजेपी की जाल में फंस जाएगी. अगर विरोध करती है, तो तब भी जाल में फंस जाएगी.
कई नेताओं ने यूसीसी का किया समर्थन
कई नेताओं ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया, तो कई ने इसका विरोध किया है. ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका विरोध किया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोध करार दिया है.