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झारखंड : गिरिडीह के तिसरी का आधा हिस्सा ड्राई जोन, जलापूर्ति संकट से जूझ रही हजारों की आबादी

गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड का आधा हिस्सा ड्राई जोन है. इसके कारण 2000 की आबादी पेयजलापूर्ति से जूझ रही है. आलम ये है कि 20 साल पहले बनी पानी की टंकी भी लीक होने लगा है. इस समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.

Common Man Issues: गिरिडीह जिला अंतर्गत तिसरी प्रखंड मुख्यालय स्थित तिसरी चौक से लेकर चिलगीली, केन्वटाटांड, भुराई रोड तक के लगभग दो हजार से अधिक आबादी जलसंकट से जूझ रही है. उन्हें दूर दराज से साइकिल से पानी ढोना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी ओर तिसरी मुख्यालय स्थित ही उक्त गांवों में पानी की समस्या के लिए बनी हुई है. यहां लाखों की लागत की भव्य पानी टंकी शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. उक्त स्थानों में पानी की किल्लत सालों भर रहती है, लेकिन गर्मी में यह समस्या विकराल रूप ले लेती है. उक्त क्षेत्र के लोग जमुनियाटांड़ स्थित एक कुआं से पानी लाते हैं. कुआं एक किमी दूर है. इस क्षेत्र के लगभग दो ढाई सौ घर के लोग उसी कुआं से पानी साइकिल से लाते हैं.

20 साल पहले बनी थी टंकी

इस क्षेत्र में पानी की समस्या समाधान के लिए 20 वर्ष पूर्व टंकी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 10 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनवायी थी. टंकी निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरती गयी. इसके कारण टंकी लीक कर गयी. तिसरी में पानी सप्लाई के लिए जब-जब उक्त टंकी में पानी भरा जाता था कि पानी गिर जाता है. अनियमितता को छिपाने के लिए विभाग ने उक्त पूर्व में बने रिजीनल अस्पताल की एक टंकीनुमा बने कुआं से तिसरी में पानी की सप्लाई शुरू की. कुआं जमीन पर रहने के कारण पानी का प्रेशर नहीं रहता है. इसके कारण उक्त क्षेत्र तिसरी के आधा हिस्से में पानी नहीं जाता है. इधर कुछ दिन पूर्व क्षेत्र में नल जल योजना के तहत लगभग नौ बड़ी बोरिंग की गयी, लेकिन चूंकि यह क्षेत्र पूर्णरुपेण ड्राई क्षेत्र है. इसके कारण पानी नहीं निकला.

क्या कहते हैं लोग

ग्रामीण चाहत कुमार कहते हैं कि तिसरी के आधे हिस्से में तो पानी की कोई कमी नहीं है, लेकिन बाकी के आधे हिस्से में पानी की समस्या वर्षों से है, लेकिन इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है. हमलोग एक किमी दूर से पानी लाते हैं. वहीं, विनीता देवी ने कहा कि तिसरी में पानी संकट गहरा गया है. यहां के जनप्रतिनिधि हमलोगों के समस्या से अनजान बने हुए हैं. तिसरी में बनी पानी टंकी से जलापूर्ति के बाद भी उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है. समस्या दूर करने की पहल हो.

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एक कुआं पर निर्भर हैं लोग

गृहणी सोनी देवी का कहना है कि जमुनियाटांड में एक कुआं है जहां से हमलोग अपनी प्यास बुझाते हैं. भंडारी रोड में एक तालाब है जहां लोग नहाते है. लेकिन, इसके लिए लोगों को दूर जाना पड़ता है. वर्षों से पानी का घोर किल्लत है. इस किसी का ध्यान नहीं है. वहीं, समाजसेवी प्रकाश विश्वकर्मा ने कहा कि तिसरी पुल के पास बनी पानी टंकी के निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच व दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. यदि लाखों की लागत से बना उक्त पानी टंकी लीके नहीं करती तो काफी सहूलियत होती.

आधा हिस्सा ड्राई जोन में है : जेई

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता मणिकांत कुमार ने कहा कि तिसरी का आधा हिस्सा ड्राई जोन है. उस क्षेत्र में पानी की समस्या भी है. समस्या के समाधान के लिए नल जल योजना के तहत तीन बड़ी बोरिंग के स्थान पर नौ बोरिंग की गयी, लेकिन दुर्भाग्यवश पानी नहीं निकला है. फिर भी इस क्षेत्र के लोगों के लिए हर संभव पानी का व्यवस्था की जायेगी. कहा कि पुरानी पानी टंकी की मरम्मत का विभाग में अभी कोई प्रावधान नहीं आया है, यदि टंकी मरम्मती की अनुमति मिलेगी तो इसे भी दुरुस्त करने का प्रयास किया जायेगा.

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