Loading election data...

Common Man Issues: डेढ़ किमी पैदल चलकर पानी लाने को मजबूर हैं ग्रामीण, चक्रधरपुर के इस गांव का जानें हाल

पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर के कुदाहातु गांव में आज भी करीब सौ परिवार दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव की महिलाओं को डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को विवश होना पड़ता है. इस समस्या के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों को आवेदन दिया गया, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2023 4:59 PM
an image

चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), रवि मोहांती : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर प्रखंड के कुदाहातु के ग्रामीण इन दिनों पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. इंसान के साथ मवेशी भी गड्ढे का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में 95 परिवार रहते हैं. कुछ साल पहले गांव में दो जलमीनार लगी थी. गांव के ऊपर टोला की जलमीनार एक साल से खराब पड़ी है. वहीं, स्कूल परिसर में लगी जलमीनार से धीमी गति से पानी गिरता है. जलमीनार खराब रहने के कारण ग्रामीण जंगल में बने झरियानुमा गड्ढे का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गड्ढे से पानी लाने के लिए ग्रामीणों को डेढ़ किलोमीटर जाना पड़ता है. गड्ढे का दूषित जल के सेवन से ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं. मजबूरन ग्रामीणों को उसी गड्ढे का पानी पीना पड़ रहा है.

सूखने के कगार पर तालाब

गांव का तालाब भी सूखने के कगार पर है. तालाब के पानी से बदबू निकल रहा है. उसी बदबूदार पानी से ग्रामीण रोजाना स्नान करने के साथ कपड़े की धुलाई कर रहे हैं. उसी तालाब के पानी से जानवर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. कुदाहातु गांव के जंगल पार जाहिरा स्थान है. यहां एक तालाब है. उसी तालाब के बगल में गड्ढा खोदकर ग्रामीणों ने पत्थर लगाया है. उसी गड्ढे में पानी रिसता है. इसी पानी से ग्रामीण भीषण गर्मी में प्यास बुझा रहे हैं. गड्ढा खुला रहने के कारण पालतु और जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

ग्रामीणों ने कहा : जलमीनार को दुरुस्त किया जाए

कुदाहातु गांव के ग्रामीण सोमवारी सरदार ने कहा कि गांव के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण गड्ढे का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. गड्ढे का पानी इतना दूषित है कि उसका रंग भी काला पड़ गया है. ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए जलमीनार की मरम्मत करायी जाए. वहीं, दिनेश कुम्हार ने कहा कि गड्ढे का पानी काफी गंदा है. मगर, जीने के लिए पीना मजबूरी है. गांव के 95 परिवार झरियानुमा गड्ढे के पानी पर आश्रित हैं. यह हर साल की समस्या है. इसका स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

Also Read: झारखंड : 7 करोड़ की लागत से गुमला की शंख नदी पर बन रहे पुल का स्पेन झुका, कंपनी के कार्य पर उठने लगे सवाल

मूलभूत सुविधा से वंचित हैं ग्रामीण

कुदाहतु के पवन सरदार का कहना है कि इस गांव के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं. ग्रामीण डेढ़ किलोमीटर दूर से पानी ला रहे हैं. पानी भरने के लिए सहमति बनाकर समय तय किया गया है. जो ग्रामीण गड्ढे से सुबह में पानी भरते हैं, वे शाम के पानी लेने नहीं आते हैं. वहीं, शैलेंद्र मिर्दा ने कहा कि गांव में पानी की काफी किल्लत है. यदि एक परिवार के सदस्य दो बार पानी ले लेगा, तो बाकी को पानी नहीं मिलेगा. गड्ढे से एक साथ पानी निकालने से जलस्तर घट जाता है. यह सिलसिला कई साल से चल रहा है. विभाग ध्यान दें. 

जल संकट को लेकर विभाग को कई बार आवेदन दिया गया

ग्रामीण विनिता बादिया ने कहा कि झरियानुमा गड्ढे के पानी का इस्तेमाल इंसान के साथ मवेशी भी कर रहे हैं. जल संकट को देखते हुए विभाग को कई बार आवेदन दिया. इसके बाद भी पहल नहीं की गयी. अधिकारी गांव की पेयजल संकट को दूर करें. वहीं, शुकुरमुनि कुम्हार ने कहा कि गांव की दोनों जलमीनार खराब हो चुकी है. मरम्मत के लिए विभाग को सूचित किया गया. साल भर बीत जाने के बाद भी आज तक कोई भी अधिकारी गांव नहीं पहुचे हैं. विभागीय लापरवाही से ग्रामीण जलसंकट से जूझ रहे हैं. कुदाहातु के सोमवारी मिर्दा ने कहा कि हमलोग आज भी गड्ढा खोदकर दूषित जल पीने को मजबूर हैं. गांव से जलसंकट दूर करने के लिए चार सोलर संचालित जलमीनार लगायी जाए. स्कूल में लगी जलमीनार को जल्द दुरुस्त किया जाए. 

Exit mobile version