झारखंड: कॉमरेड महेंद्र सिंह शहादत दिवस आज, जानें उनका पूरा व्यक्तित्व

जेल में महेंद्र सिंह ने कैदियों के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ कर उन्हें सही और स्वच्छ भोजन दिलाने का काम किया. 1985 में उन्होंने बगोदर विधानसभा से चुनाव लड़ा. वर्ष 1990 में उन्हें पहली बार विधानसभा में जीत मिली, इसके बाद तीन बार बगोदर विधान सभा का प्रतिनिधित्व किया.

By Kunal Kishore | January 16, 2024 6:43 AM

गिरिडीह, कुमार गौरव : महेंद्र सिंह का शहादत दिवस 16 जनवरी को बगोदर प्रखंड के बस पड़ाव व उनके पैतृक गांव खंभरा में मनाया जाएगा. आपको बता दें कि 16 जनवरी 2005 को सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गी धवईया में एक चुनावी सभा के बाद कौन हैं महेंद्र सिंह पूछते हुए उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. आज महेंद्र सिंह हत्या को 19 साल गुजर गए हैं. लेकिन महेंद्र सिंह ने जिस आंदोलन और लड़ने का बीजा रोपण लोगों के जेहन में किया था. वो आज भी महेंद्र सिंह के चहेतो में देखने को मिलती हैं. चाहे वो प्रशासन के खिलाफ हो या फिर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ. गरीबों के हक, अधिकार की लड़ाई आज भी जारी है. कॉमरेड महेंद्र सिंह आजाद शख्सियत व विचारधारा के दूसरे नाम से भी जाने जाते थे. सदन हो यह फिर सड़क उनकी लडाई में भले ही कोई साथ हो या न हो, लेकिन अकेले खड़े होकर लड़ना ही सिखा और दुसरों को सिखाया भी. उनकी ख्याति किसानों, मजदूरी, शोषितों के रहनुमा के रूप में जाना जाता हैं. महेंद्र सिंह का जन्म 22 फरवरी को खभरा में 1954 में हुआ था. गाँव के ही स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई की. कम पढ़े लिखे होने के बाद किताबों और अखबार से काफी लगाव था. उनके लिए अखबार एक नशा हुआ करता था. गजल, कविता सिनेमा भी उनका शौक था. उनका जीवन सादगी से भरा था.बचपन और स्कूल के दौर से ही बागी तेवर थे. यही कारण है कि अन्याय और शोषण के विरुद्ध अपने गांव के लोगों को संगठित कर शोषको और जमीदारों के खिलाफ लडाई लडी. और जमींदारी प्रथा को समय के साथ समाप्त भी किया. अपने गाँव खंभरा में ऐसे समाज का निर्माण भी की. जिसमें गाँव के लडाई, झगड़े थाने न जाकर ग्राम सभा में निपटा लिए जाते थे. ऐसे कई उदाहरण हैं कि ग्राम सभा में दंडित किया गया और महेंद्र सिंह के विचारों से प्रेरित होकर दंडित होने वाले शख़्स आज कई सरकारी और गैर सरकारी विभागों में कार्यरत हैं.

झूठे मामले में भेजा जेल, लेकिन साबित हुए निर्दोष

गाँव के यमुना सिंह बताते हैं कि वर्ष 1982 की बात हैं. उन्हें हत्या के एक झूठे मामले में गिरिडीह जेल भेज दिया गया था. जिसमें आंदोलन के बलबूते उस मामले में निदोष भी साबित हुए और जेल से भी रिहा हुए. जेल में महेंद्र सिंह ने कैदियों के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ कर उन्हें सही और स्वच्छ भोजन दिलाने का काम किया. 1985 में उन्होंने बगोदर विधानसभा से चुनाव लड़ा. वर्ष 1990 में उन्हें पहली बार विधानसभा में जीत मिली, इसके बाद तीन बार बगोदर विधान सभा का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने जनता और मंत्री, विधायक भी एक साधारण भेष -भूषा आम आदमी की तरह होते है. कॉमरेड महेंद्र सिंह बगोदर की जनता को संघर्ष करना सिखाया. उनका कहना था कि हम जनता से एक ही वादा कर सकते हैं कि हम जेल जा सकते हैं. मारे जा सकते है. मगर आपके साथ धोखा नहीं कर सकते हैं. यही कारण है कि उनकी मौत के बाद आज भी बगोदर विधान सभा में महेंद्र सिंह तुम जिंदा हो खेतों व खलिहानों में, जनता के अरमानो में नारे गाँव में गूंजती हैं. हर बरस उनकी बरसी पर गरीब किसान, मजदूर अपने जन नायक को श्रद्धांजलि देने के लिए बगोदर पहुंचते हैं.

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