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गढ़वा के गव्य विकास कार्यालय में सृजित पद के बिना युवक से लिया काम, गलती पकड़ में आने पर 16 महीने बाद हटाया

गढ़वा गव्य विकास विभाग के कार्यालय में सृजित पद के बिना एक युवक से 16 महीने काम कराया गया. जब गलती का एहसास हुआ, तो आनन-फानन में उसे काम से हटाते हुए उसकी सेवा आउटसोर्सिंग कंपनी को वापस कर दी गयी. इस दौरान 24,391 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से करीब चार लाख रुपये का भुगतान भी किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2023 5:58 AM

गढ़वा, पीयूष तिवारी : गढ़वा जिला गव्य विकास कार्यालय, गढ़वा में सृजित पद के बिना ही एक युवक से कार्यालय सहायक के पद पर काम लेकर उसे भुगतान भी किया गया. बाद में गलती का अहसास होने पर 16 महीने बाद 31 मई, 2023 को उस कर्मी की सेवा आउटसोर्सिंग कंपनी को वापस कर दी गयी है.

सृजित पद के बिना युवक से कराया काम

जानकारी के अनुसार, गव्य विकास विभाग गढ़वा में आउटसोर्सिंग कंपनी फ्रंटलाइन एक्स सर्विसमैन ब्यूरो कडरू, रांची की ओर से गढ़वा में रवींद्र कुमार राज नामक युवक को कार्यालय सहायक के पद पर कार्य करने के लिए एक फरवरी, 2022 को भेजा गया था. जबकि गव्य विकास विभाग, गढ़वा में कार्यालय सहायक का कोई पद स्वीकृत नहीं है. इसके बावजूद जिला गव्य विकास पदाधिकारी ने युवक को विभाग में योगदान करा दिया. इस वजह से उसे फरवरी 2022 से 31 मई 2023 तक वेतन मद में 24,391 रु प्रतिमाह के हिसाब से कुल 3.90 लाख रु का भुगतान भी सरकार की ओर किया गया है.

विभाग ने मानी अपनी गलती

अपनी गलती का एहसास होने के बाद इस मामले में जिला गव्य विकास पदाधिकारी सनत कुमार पंडित ने 31 मई, 2023 को आउटसोर्सिंग कंपनी को एक पत्र लिखा और कार्यालय सहायक पद पर कार्य कर रहे युवक की सेवा वापस कर दी. पत्र में उन्होंने लिखा है कि राज्यादेश (संख्या 30(रा) दिनांक- छह फरवरी 2014) के आलोक में आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जानेवाले कार्यालय सहायक का काई पद स्वीकृत नहीं है. इसलिए इस पद पर गढ़वा में सेवा दे रहे रवींद्र कुमार राज की सेवा वापस की जाती है.

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गड़बड़ी का मामला नहीं है

इस संबंध में प्रभारी जिला गव्य विकास पदाधिकारी सह जिला पशुपालन पदाधिकारी सनत कुमार पंडित ने कहा कि विभागीय पत्र के आलोक में मिले निर्देश पर उन्होंने सेवा वापस की है. यह गड़बड़ी का मामला नहीं है. कार्यालय में अब एक कंप्यूटर ऑपरेटर और आदेशपाल के अलावा कार्य करनेवाला दूसरा कोई नहीं बचा है.

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