कोलकाता : पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 को कांग्रेस आलाकमान प्रदेश नेतृत्व के भरोसे छोड़ने के मूड में नहीं है. चुनाव पर दिल्ली से पूरी नजर रखी जायेगी. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों में काफी भागदौड़ की है.
चुनावी रणनीति के तहत एआईसीसी के दो नेता जितिन प्रसाद और बीके हरिप्रसाद ने राज्य में कांग्रेस की वोट की तैयारी, चुनाव अभियान की रणनीति और गठबंधन प्रक्रिया की स्थिति को समझने के लिए कोलकाता आ रहे हैं. 7 फरवरी को विधान भवन में पार्टी की कई समितियों की बैठक लेंगे.
उसी दिन प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने वाम मोर्चा के साथ तीसरे दौर की बैठक भी बुलायी है. जितिन प्रसाद बंगाल के प्रभारी हैं, तो हरिप्रसाद बंगाल के लिए कांग्रेस की ओर से नियुक्त चार वरिष्ठ पर्यवेक्षकों में एक हैं. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस के साथ समन्वय, प्रचार और घोषणापत्र समिति के साथ बैठक करेंगे.
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मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ये समितियां अभी तक एक साथ कोई बैठक नहीं कर पायी. कांग्रेस के एक सूत्र के मुताबिक, इस बार केवल जितिन ही पार्टी के प्रचार अभियान की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं. खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संदेश दिया कि वाम दलों के साथ गठबंधन की प्रक्रिया 31 जनवरी तक पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन फरवरी का पहला सप्ताह जैसे-जैसे आगे बढ़ा गठबंधन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं पायी है.
दोनों पक्षों ने राज्य की 193 सीटों के लिए समझौता किया है. 101 सीटों पर बातचीत होनी बाकी है. दोनों पक्षों के राज्य नेतृत्व ने घोषणा की है कि गठबंधन 28 फरवरी को ब्रिगेड मैदान में एक रैली आयोजित करेगा. लेकिन, राहुल गांधी या कांग्रेस का कोई दूसरा बड़ा नेता आयेगा, इस पर फैसला होना बाकी है.
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यही कारण है कि न तो वामपंथी, न ही कांग्रेस ब्रिगेड में वक्ताओं की अपनी सूची लोगों के सामने रख पा रहा है. अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन का मुद्दा भी लंबित है, क्योंकि कांग्रेस के साथ इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई है.
अब्बास के लिए रास्ता बनाने के लिए वामपंथी चाहते हैं कि कांग्रेस भी कुछ सीटें छोड़े, लेकिन कांग्रेस फुरफुरा शरीफ के पीरजादा को तवज्जो देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस अभी तक अपनी सीटों की सूची को अंतिम रूप नहीं दे पायी है. वहीं, अब्बास ने अल्टीमेटम दे दिया है कि 8 फरवरी तक ही वह इंतजार करेंगे.
अब्बास ने कहा कि फरवरी के बाद अनिश्चितकाल के लिए इंतजार करना उनके लिए संभव नहीं होगा. प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने स्वीकार किया कि किसी कारण से गठबंधन की प्रक्रिया समयसीमा से बाहर जा चुकी है. इसमें जितना लंबा समय लगेगा, भाजपा को उतना ही ज्यादा फायदा होगा.
कुल मिलाकर गठबंधन में हो रही देरी की वजह से कांग्रेस आलाकमान को प्रदेश नेतृत्व पर भरोसा नहीं रहा. वह इसे प्रदेश नेतृत्व की कमजोरी के रूप में देख रहा है. लिहाजा, अब सीधे आलाकमान ही सारा फैसला लेने के लिए तैयार हो गया है. राज्य की जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए दिल्ली से शीर्ष नेतृत्व के दो दूत बंगाल आ रहे हैं.
Posted By : Mithilesh Jha