चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से करीब 86 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद अंदरुनी कलह की खबरें भी सामने आने लगी हैं. खबर है कि जगरांव विधानसभा सीट से किसी को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह को पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिए जाने के बाद से वे नाराज हो गए हैं. नाराजगी में उन्होंने बस्सी पठाना सीट से निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने उन्हें मनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और संभावना है कि सीएम चन्नी के भाई को जगरांव विधानसभा सीट से टिकट दे दिया जाए.
हालांकि, पंजाब के जगरांव विधानसभा सीट से टिकट पाने के लिए कांग्रेस में कई नेता दावेदारी पेश कर रहे हैं. इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के जो नेता दावेदारी पेश कर रहे हैं, उनमें विधायक कुलदीप वैद्य, आप छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए विधायक जगतार सिंह जग्गा, हलका इंचार्ज मलकीत सिंह दाखा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय बूटा सिंह की बेटी एडवोकेट गुरकीरत कौर, एनआरआई इंटरनेशनल कोऑर्डिनेटर अवतार सिंह चीमा, सफाई कर्मचारी आयोग (पंजाब) के चेयरमैन गेजाराम और राजेश इंदर सिद्धू शामिल हैं. कांग्रेस के ये नेता कई महीनों से जगरांव विधानसभा सीट के विभिन्न इलाकों में सक्रिय नजर आ रहे हैं.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जगरांव विधानसभा सीट से टिकट देने के लिए पंजाब कांग्रेस ने आलाकमान को उम्मीदवारों का एक पैनल बनाकर सूची भेजी है, जिसमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह, विधायक कुलदीप वैद्य और रायकोट से विधायक जगतार सिंह जग्गा का नाम शामिल है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि हालांकि, सीएम चन्नी के भाई ने बस्सी पठाना से निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान भले ही कर दिया हो, लेकिन पार्टी उन्हें मनाकर जगरांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे सकती है.
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पार्टी के सूत्रों का यह भी कहना है कि पंजाब कांग्रेस ने आलाकमान को जो सूची भेजी है, उसमें सीएम चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह का नाम सबसे ऊपर है. इसके साथ ही, कांग्रेस की ओर से जो आंतरिक सर्वे कराया गया था, उसमें भी उनका नाम सबसे पहले ही है. हालांकि, पार्टी के सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस आलाकमान अगर चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह को जगरांव से उम्मीदवार बनाती है, तो बाकी के दिग्गज नेताओं को गुटबाजी छोड़कर मनोहर सिंह का साथ देना उनकी मजबूरी बन जाएगी.