नई दिल्ली : कांग्रेस के बागी नेताओं के समूह जी-23 में तथाकथित तौर पर शामिल मनीष तिवारी ने पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची से नाम हटाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने शनिवार को कहा कि मैं नाम हटाए जाने से उतना हैरान नहीं हूं, जितना नाम शामिल किए जाने से था. इसके पीछे असली कारण क्या है, सभी जानते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक हिंदू-सिख का सवाल है, पंजाब में कभी यह मुद्दा कभी रहा ही नहीं है. इसके साथ ही, पंजाब में हिंदू-सिख मुद्दे पर दिल्ली में बैठे ‘मठाधीश’ पर हमला किया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘मैं नाम हटाए जाने से उतना हैरान नहीं हूं, जितना नाम शामिल किए जाने से था. इसके पीछे असली कारण क्या है, सभी जानते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक हिंदू-सिख का सवाल है, पंजाब में कभी यह मुद्दा कभी रहा ही नहीं है.’ उन्होंने कहा कि अगर कभी यह मुद्दा होता तो मैं श्री आनंदपुर साहिब से सांसद नहीं होता.
I'd have been surprised had my name been there; not surprised that it's not there. Everyone knows the reason. As far as Hindu-Sikh is concerned, it has never been an issue in Punjab. Had it ever been an issue,I would've not been MP from Sri Anandpur Sahib: Manish Tewari, Congress pic.twitter.com/eKYegLTXZF
— ANI (@ANI) February 5, 2022
तथाकथित तौर पर कांग्रेस के जी-23 के नेताओं में शामिल मनीष तिवारी ने आगे कहा कि एक सांसद और राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर मैं व्यक्तिगत रूप से यही सोचता हूं कि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री के चयन का अधिकार निर्वाचित विधायकों के पास होता है. उन्होंने कहा कि अभियान का नेतृत्व कौन करेगा और अभियान का चेहरा कौन बनेगा, यह पार्टी की ओर से तय किया जाता है.
As an MP & a political worker, I personally think that in a democracy the right to elect CM lies with elected MLAs. Who leads the campaign, who becomes the face of the campaign can be decided by the party: Manish Tewari, Congress MP from Sri Anandpur Sahib#PunjabElections2022 pic.twitter.com/HzFxCZEJYL
— ANI (@ANI) February 5, 2022
मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि पंजाब में हिंदू और सिख में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा होना लाजिमी है कि शायद उस समय सुनील जाखड़ को रोकने के लिए दिल्ली में बैठे किसी ‘मठाधीश’ ने संकीर्ण मानसिकता का इस्तेमाल किया होगा.’