पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों में जिसे सबसे ज्यादा झटका लगा है तो वो कांग्रेस पार्टी है. बंगाल के चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है. हालात ऐसे रहे कि पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया था और दोनों जगहों पर कांग्रेस प्रत्याशी फिसड्डी साबित हुए. अब, हार के सदमे से उबरने के बाद कांग्रेस पार्टी ने मंथन का फैसला लिया है. इसके लिए एक कमेटी के गठन की खबरें भी सामने आई है. मंथन में निकले रिजल्ट के आधार पर कांग्रेस पार्टी बंगाल में ‘मिशन 2026’ में भी जुट जाएगी.
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दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनावी नतीजों में टीएमसी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 213 सीटें जीती है. जबकि, बीजेपी के खाते में 77 सीटें गई. चुनाव के पहले लेफ्ट, आईएसएफ (इंडियन सेक्युलर फ्रंट) के साथ गठबंधन में उतरी कांग्रेस पार्टी एक अदद सीट नहीं जीत सकी. चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी के अधिकतर कैंडिडेट्स की जमानत तक जब्त हो गई. इस हार से पार्टी को बड़ा सदमा लगा. अब, हार के सदमे से उबरकर पार्टी ने मंथन का फैसला लिया है.
बंगाल चुनाव के रिजल्ट में मिली करारी हार के कारणों का पता लगाने के लिए गौरव गोगोई के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने मंथन का फैसला लिया है. प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक लेफ्ट के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी को जिस तरह से लोगों ने नकारा है, वो चिंता का विषय है. इसके कारण क्या हो सकते हैं? इन्हीं सारे सवालों की तलाश में कांग्रेस पार्टी जुटी हुई है. खास बात यह है कि वाम मोर्चा के साथ गठबंधन की वजह से ना केवल कांग्रेस समर्थक, बल्कि, लेफ्ट पार्टी के समर्थकों का वोट भी कांग्रेस के कैंडिडेट्स को मिला. लेकिन, करारी हार नहीं टाली जा सकी.
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो कांग्रेस पार्टी हाशिए पर चली गई है. साल 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 44 सीटें मिली थी. जबकि, इस बार के बंगाल के चुनावी रिजल्ट में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी. अब, कांग्रेस को दोबारा से पश्चिम बंगाल में मजबूती के साथ खड़ा करने की कोशिश हो रही है. माना जा रहा है अगले कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं की प्रदेश नेतृत्व के साथ एक अहम बैठक होने जा रही है.