कांग्रेस यूपी में जातीय जनगणना से सियासी जमीन करेगी मजबूत, बरेली में 22 जून को सम्मेलन, जानें पूरा प्लान
यूपी में कांग्रेस ने "जातीय जनगणना कराओ, आरक्षण बढ़ाओ" सम्मेलन का फैसला लिया है. हालांकि इस सम्मेलन का आगाज 15 जून को आगरा मंडल से कर रही है. मगर 22 जून को बरेली मंडल के मंडल मुख्यालय, बरेली में होगा. कांग्रेसियों ने सम्मेलन की तैयारियां शुरू कर दी हैं.
बरेली: देश के हिमाचल और कर्नाटक राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने वाली अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यूपी में सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. मगर यूपी में मजबूत संगठन न होने के कारण उम्मीद के मुताबिक चुनावी रिजल्ट नहीं आ रहे हैं. इसीलिए कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा प्लान तैयार किया है. कांग्रेस यूपी में दलित पिछड़ों के सहारे जीत हासिल करने की कोशिश में है.
यूपी में कांग्रेस ने “जातीय जनगणना कराओ, आरक्षण बढ़ाओ” सम्मेलन का फैसला लिया है. हालांकि यूपी में कांग्रेस “जातीय जनगणना कराओ, आरक्षण बढ़ाओ” सम्मेलन का आगाज 15 जून को आगरा मंडल से कर रही है. मगर 22 जून को बरेली मंडल के मंडल मुख्यालय, बरेली में होगा. कांग्रेसियों ने सम्मेलन की तैयारियां शुरू कर दी हैं.
जल्द ही कांग्रेसियों को जिम्मेदारी दी जाएगी. जिलाध्यक्ष मिर्जा अशफाक सकलैनी ने बताया कि “जातीय जनगणना कराओ, आरक्षण बढ़ाओ”सम्मेलन के माध्यम से जातीय जनगणना कराने पर जोर दिया जाएगा. सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम के साथ ही पार्टी के पिछड़े और दलित नेता भी शामिल होंगे. सम्मेलन की तैयारियों को लेकर गुरुवार शाम पार्टी कार्यालय पर बैठक करने की बात कही.18 जून को कानपुर मंडल, 19 को वाराणसी, 21 को सहारनपुर, 25 को अयोध्या, और 26 गोंडा मंडल में सम्मेलन होगा.
सपा जातीय जनगणना के मुद्दे पर फेल
यूपी में करीब 23 फीसद दलित और 40 फीसद पिछड़ा वोट है. इसमें बड़ी संख्या में पिछड़ा वोट भाजपा के साथ है. दलित वोट में भी भाजपा सेंधमारी कर चुकी है. इसीलिए विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को सिर्फ 13 फीसद वोट मिले थे. सपा ने जातीय जनगणना के मुद्दे के सहारे यादव के अलावा अन्य पिछड़े मतदाताओं को साधने की कोशिश में थी. जिसके चलते पार्टी ने जातीय जनगणना पर हर जिले में आंदोलन का ऐलान किया था. मगर 4 महीने गुजरने के बाद भी कोई कार्यक्रम नहीं किया. यह मुद्दा सपा भूल चुकीं है, लेकिन अब इस मुद्दे को कांग्रेस ने कैश करने की तैयारी में है.
यूपी में कांग्रेस के 2 विधायक
विधानसभा चुनाव, 2022 में कांग्रेस के सभी 399 प्रत्याशियों को 21,51,234 वोट मिले थे.यह कुल पड़े मतों का 2.33 प्रतिशत है. इस हिसाब से कांग्रेस के हर उम्मीदवार को औसतन 5391 वोट मिले थे. मगर, विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस ने 114 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. उनको 54,16,540 यानी 6.25 प्रतिशत वोट मिले थे.उस वक्त कांग्रेस के प्रत्येक प्रत्याशी को औसतन 47,513 वोट मिले. मगर अब लोकसभा चुनाव में वोट बढ़ाने की कोशिश में जुटी है.
1931 तक की गई जातिगत जनगणना
देश में 1931 तक जाति जनगणना होती थी. मगर,वर्ष 1941 में जाति आधारित डाटा एकत्र किया गया, लेकिन जारी नहीं किया गया. देश में वर्ष 1951 से वर्ष 2011 तक जनगणना में एससी,और एसटी जातियों का डाटा एकत्र कर जारी किया जाता है. मगर अन्य जातियों का डाटा जारी नहीं किया जाता है.
1990 में मंडल कमीशन सिफारिश लागू
केंद्र की तत्कालीन विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने वर्ष 1990 में दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग यानी मंडल आयोग बनाया. इसकी सिफारिशों को वर्ष 1990 में लागू किया था. मंडल कमीशन के आंकड़ों के आधार पर भारत में ओबीसी आबादी 52 फीसद मानी गई थी. मगर इसमें भी वर्ष 1929 की जनगणना को आधार माना गया था, लेकिन इसके बाद ओबीसी आबादी के कोई ठोस प्रमाण पत्र नहीं हैं.
Also Read: बरेली में मेड़ विवाद में फरसे से काटकर किसान की हत्या, गांव में तनाव का माहौल, आरोपियों की तलाश जारी
जानें जातिगत जनगणना से क्यों बचती हैं सरकार
देश में लंबे समय से ओबीसी नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. मगर केंद्र, और राज्य सरकार जातिगत जनगणना से खुद को बचाती हैं. माना जाता है कि ओबीसी की जनगणना अधिक होने पर आरक्षण की डिमांड भी अधिक होगी, और जनसंख्या कम आने पर जातिगत जनगणना सही से न होने की बात को लेकर हंगामा होगा.
यूपी की 18 ओबीसी जाति एससी में होंगी शामिल
18 ओबीसी जातियां काफी समय से एससी में शामिल होने की कोशिश में हैं. इसके लिए हाईकोर्ट फैसला भी कर चुका है. ओबीसी को एससी शामिल करने के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था. इसमें मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ शामिल हैं.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली