दीपांकर ने बिहार चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन के लिए ‘बहुत बड़ी शर्मिंदगी’ करार दिया, बंगाल चुनाव पर कही यह बात
West Bengal News: भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 और उसके बाद सरकार बनाने में विफल रहने वाले महागठबंधन के लिए कांग्रेस को ‘बहुत बड़ी शर्मिंदगी’ करार दिया. साथ ही कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के साथ सीटों की साझेदारी के दौरान ‘अधिक यथार्थवादी’ रुख अपनायेगी.
West Bengal News: कोलकाता : भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 और उसके बाद सरकार बनाने में विफल रहने वाले महागठबंधन के लिए कांग्रेस को ‘बहुत बड़ी शर्मिंदगी’ करार दिया. साथ ही कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के साथ सीटों की साझेदारी के दौरान ‘अधिक यथार्थवादी’ रुख अपनायेगी.
दीपांकर भट्टाचार्य ने रविवार को कहा कि उन्हें पक्का यकीन है कि सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) भी बिहार में अपने खराब प्रदर्शन की समीक्षा कर रही होगी. वह राजनीतिक रूप से संवेदनशील पश्चिम बंगाल, जहां भगवा ब्रिगेड सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी प्रयास कर रहा है, में सीटों के बंटवारे के दौरान वह युक्तिसंगत रहेगी.
बिहार के चुनाव परिणामों का हवाला देते हुए श्री भट्टाचार्य ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी को पश्चिम बंगाल में माकपा-कांग्रेस गठबंधन में अगुवा नहीं होना चाहिए.’ हाल के बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों की साझेदारी के तहत कांग्रेस ने कुल 243 सीटों में 70 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जबकि वह महज 19 सीट ही जीत पायी.
दूसरी तरफ, महागठबंधन के घटक भाकपा (माले) 19 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी और उसने 12 सीटें जीतीं. उधर, भाकपा और माकपा ने भी दो-दो सीटें हासिल कीं. ऐसा नहीं है कि केवल बिहार में कांग्रेस के प्रदर्शन में गिरावट आयी, बल्कि वर्ष 2014 के बाद से लोकसभा चुनाव एवं हाल के वर्षों में विधानसभा चुनावों में उसकी सीटें घटी हैं.
श्री भट्टाचार्य ने कहा, ‘कांग्रेस, बिहार में महागठबंधन के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी थी. सीटों का बंटवारा अधिक यथार्थवादी होना चाहिए था. कांग्रेस की सफलता दर सबसे कम रही. मुझे यकीन है कि पार्टी भी अपने प्रदर्शन की समीक्षा कर रही होगी.’ उन्होंने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि कांग्रेस हाल ही में संपन्न बिहार के चुनाव से सबक लेगी और पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे के दौरान अधिक यथार्थवादी रुख अपनायेगी.’
वैसे भाकपा माले पश्चिम बंगाल में माकपा, भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी के वाममोर्चा का हिस्सा नहीं है, लेकिन वह राज्य में कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारती रही है. हालांकि, उसे सफलता नहीं मिली है. बिहार में अपने प्रदर्शन से उत्साहित चरमपंथी वाम संगठन इस बार फिर बंगाल में चुनाव में और जोश-खरोश से उतरने की तैयारी कर रहा है.
दीपांकर भट्टाचार्य से जब पश्चिम बंगाल में भाजपा को टक्कर देने के लिए भाकपा माले और तृणमूल कांग्रेस के बीच किसी सहमति की संभावना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उसका जवाब नहीं में दिया. कहा कि फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि भाकपा माले पश्चिम बंगाल में माकपा नीत गठबंधन का हिस्सा होगी. बंगाल में अगले वर्ष अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं.
Posted By : Mithilesh Jha