झारखंड : बंशीधर महोत्सव को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच तकरार, राजनीतिक बयानबाजी तेज

बंशीधर महोत्सव को लेकर भाजपा और झामुमो आमने-सामने है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सांसद बीडी राम और विधायक भानु प्रताप शाही पर जमकर प्रहार किये, वहीं भाजपा नेता और कार्यकर्ता इस महोत्सव से दूर रहें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2023 5:11 PM

गढ़वा, विनोद पाठक : राजकीय बंशीधर महोत्सव आखिरकार राजनीतिक रूप ले ही लिया. बंशीधर मंदिर को धार्मिक एवं पर्यटन के क्षेत्र में देश-दुनिया में प्रचारित करने के उद्देश्य से आयोजित इस दो दिवसीय समारोह में झामुमो एवं भाजपा का तकरार खुलकर सामने आ गया. जंग तब बढ़ गया, जब उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में राज्य के कैबिनेट मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सांसद बीडी राम और क्षेत्रीय विधायक भानु प्रताप शाही का नाम लेकर मंच पर उपस्थित नहीं होने के लिए बार-बार कोसा.

राजनीतक जंग शुरू

उद्घाटन समारोह में मंत्री श्री ठाकुर अपने करीब 30 मिनट के संबोधन में आधे से अधिक समय तक विपक्षी दल भाजपा के नेताओं को खरी-खोटी सुनाते रहे. इतना ही नहीं, उन्होंने इसके लिए उपस्थित जनसमुदाय से भाजपा जनप्रतिनिधियों के इस आचरण के लिए आगामी चुनाव में सबक सिखाने का भी आह्वान कर डाला. इसके बाद जब मुख्यमंत्री की बारी आयी, तो उन्होंने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की नीतियों की जमकर आलोचना की. इसके बाद से इस समारोह को लेकर राजनीतिक जंग शुरू हो गयी है.

बंशीधर महोत्सव से भाजपा नेता और कार्यकर्ता रहे दूर

मालूम हो कि बंशीधर महोत्सव में उसी समय से पक्ष एवं विपक्ष के बीच राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था, जब सांसद बीडी राम ने महोत्सव के एक दिन पहले एक प्रेस सम्मेलन आयोजित कर अपने को बंशीधर महोत्सव से पूरी तरह से अलग रहने की घोषणा कर दी थी. प्रेस सम्मेलन में उपस्थित भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश केसरी ने भी इसका समर्थन करते हुए भाजपा पार्टी की ओर से पूरी तरह से इस कार्यक्रम से अलग रहने की बात कही थी. इसका असर भी बंशीधर महोत्सव में पूरी तरह से देखने को मिला. दो दिनों तक चले इस आयोजन में भाजपा के सारे कार्यकर्ता व नेता पूरी तरह से दूर रहे.

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समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था

बंशीधर महोत्सव का बहिष्कार करने के विषय में कारण बताते हुए पलामू सांसद बीडी राम ने कहा कि उनको उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया था. उन्हें गढ़वा डीडीसी ने जो निमंत्रण कार्ड दिया, उसमें शाम छह बजे से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रण था, जबकि मुख्यमंत्री महोत्सव का उद्घाटन दिन में 2.50 बजे करनेवाले थे. इतना ही नहीं, उनके नाम से बंशीधर महोत्सव का स्वागत के लिए जो बैनर लगाये थे, उसे प्रशासन द्वारा हटवा दिया गया, जबकि झामुमो नेता दिनेश मेहता, अनंत प्रताप देव एवं ताहिर अंसारी की तसवीर के साथ लगाये गये बैनर एवं होर्डिंग को प्रशासन ने नहीं हटाया.

बीजेपी का झामुमो पर आरोप

इतना ही नहीं, उन्होंने इस समारोह के लिए केंद्रीय पर्यटन कला संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को आमंत्रित करने के लिए मंत्री से बात कर लिये थे, लेकिन गढ़वा डीसी ने इसपर कोई रूचि नहीं दिखायी. जबकि यदि केंद्रीय मंत्री आते, तो वे बंशीधर मंदिर को श्रीकृष्ण सर्किट से जोड़ने के लिए घोषणा करते. यहां तक कि राज्यपाल को भी इस महोत्सव में आना था, लेकिन जिला प्रशासन उनके इस प्रयास पर पानी फेर दिया. उन्होंने कहा कि बंशीधर महोत्सव का कनसेप्ट उनका ही था. उन्होंने ही वर्ष 2017 में पहली बार बंशीधर महोत्सव की शुरूआत करायी थी, लेकिन अब एक साजिश कर राजनीतिक विद्वेश से उन्हें ही इस समारोह से अलग कर दिया गया. इसके कारण वे व्यथित हैं. इधर, विधायक भानु ने भी प्रेस बयान जारी कर मंंत्री पर आरोप लगाया कि वे बंशीधर महोत्सव को लेकर राजनीति कर रहे हैं.

नगर पंचायत अध्यक्ष भी नहीं हुई शामिल

बंशीधर महोत्सव में बंशीधर नगर पंचायत की अध्यक्ष विजया लक्ष्मी देवी भी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हुुईं जबकि उनके नगर पंचायत में यह कार्यक्रम आयोजित था. इधर, जिला परिषद अध्यक्ष शांति देवी उद्घाटन मंच पर उपस्थित थीं. मालूम हो कि विजया लक्ष्मी देवी भाजपा में हैं, जबकि जिप अध्यक्ष शांति देवी झामुमो में. यह भी चर्चा का विषय था.

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समारोह के लिए स्कूलों से मंगायी गयीं बसें

समारोह के लिए सभी स्कूल बसों को ले लिया गया था. इसके कारण अधिकांश विद्यालयों में अवकाश घोषित करना पड़ा. बताया गया कि जिले के पंचायत स्तर से लोगों को बंशीधर महोत्सव के लिए लाना है. इसको लेकर काफी बसों की जरूरत थीं. इसको लेकर भी भाजपा नेताओं को बोलने का अवसर मिल गया. इसपर भाजपा नेताओं का आरोप है कि झामुमो कार्यकर्ताओं को ढोने के लिए सभी स्कूलों से प्रशासन ने बस मंगाये थे क्योंकि प्रशासन को समारोह स्थल पर भीड़ जुटाने को लेकर चिंता थी. बता दें कि समारोह का आयोजन एक बार तिथि टाल दिये जाने के बाद दूसरी बार हो रहा था. इसलिए समारोह में भीड़ की उपस्थिति को लेकर प्रशासन के समक्ष उहापोह की स्थिति थी.

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