Jharkhand News: लातेहार में लगातार बारिश से मकई की फसल हो रही बर्बाद, भारी नुकसान से चिंता में हैं किसान

लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड में इस वर्ष खरीफ सीजन में धान की फसल को कम बारिश एवं सूखे ने भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन मकई फसल के दौरान सब ठीक था. उपज अच्छी थी, ऐन व्यक्त पर मकई घर ले जाने का जब समय आया, तब बारिश ने बर्बाद करना शुरू कर दिया. भारी नुकसान से किसान चिंतित हैं.

By Guru Swarup Mishra | October 14, 2022 10:59 PM

Jharkhand News: लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत पंचायत दुरूप और चैनपुर में सैकड़ों एकड़ से अधिक भूमि में मकई की फसल लगी है, लेकिन बारिश से किसान मुसीबत में घिरने लगे हैं. पिछले एक सप्ताह से रोज बारिश हो रही है. इससे मकई की खड़ी फसल बर्बाद होने लगी है. मकई में लगा दाना खेतों में सड़ने लगा है. किसान पिछले तीन महीने से फसल तैयार करने को लेकर खून-पसीना एक किए हुए थे. अब फसल बर्बादी के डर से वे बेचैन हैं. वे समझ नहीं पा रहे है कि अब क्या करें. एक अक्टूबर से लगातार बारिश हो रही है. किसान प्रभात खबर से अपना दर्द साझा करते हुए भावुक हो गए.

धान को सूखे ने बर्बाद किया, मकई को बारिश

किसानों ने ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में कहा कि महुआडांड़ प्रखंड में इस वर्ष खरीफ सीजन में धान की फसल को कम बारिश एवं सूखे ने भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन मकई फसल के दौरान सब ठीक था. उपज अच्छी थी, ऐन व्यक्त पर मकई घर ले जाने का जब समय आया, तब बारिश ने बर्बाद करना शुरू कर दिया. दौना गांव के किसान कमेश सिंह ने कहा कि 10 एकड़ में मकई लगाया हूं. महिला समूह से पत्नी के नाम पर कर्ज लेकर खेती की है. पिछले वर्ष मकई फसल की पैदावार अच्छी नहीं थी, तो आर्थिक रूप से कमजोर किया था, अगर बारिश होती रही तो इस बार की मकई की फसल भी बर्बाद हो जायेगी.

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बंदर से फसल को बचाना जंग जीतने के बराबर

दुरूप के किसान सफरूल अंसारी बताते हैं कि 15 एकड़ में मकई की फसल लगी है. मकई में लगातार 100 से 120 दिनों की मेहनत लगती है. किसी दिन इसकी देखभाल छोड़ नहीं सकते. मकई के लिए मुसीबत है बंदर एवं अन्य जानवर और पक्षी से बचाना. हम रात में जागकर फसल की रक्षा करते हैं. ऐसे हालात में बारिश से फसल बर्बाद होती है, तब चिंता बढ़ जाती है. किसान तौहिद अंसारी ने कहा कि लीज पर 10 एकड़ जमीन लेकर मकई फसल लगाया हूं. फसल तैयार है, पर बारिश की ऐसी स्थिति में मकई नहीं काटी जा सकती है. मकई की खेती में जमा-पूंजी खर्च कर चुके हैं. किसान अजमतुला अंसारी, सेराज अंसारी, कृष्णा यादव एवं प्रसाद यादव ने 10-10 एकड़ से अधिक में मकई की खेती की है. दाना सड़ने लगा है.

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सुरक्षित जगह पर रख लें मकई की फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉ सुनीता कहती हैं कि यह प्राकृतिक आपदा है. इस पर किसी का जोर नहीं चलता है. तैयार फसल है, तो स्वाभाविक नुकसान होगा ही. ऐसे में किसानों को चाहिए कि किसी तरह मकई जल्द से जल्द खेत से तोड़कर सुरक्षित जगह पर रखें.

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फसल नुकसान का किया जायेगा आकलन

लातेहार जिला कृषि पदाधिकारी राम शंकर सिंह ने कहा कि नुकसान का आकलन किया जाएगा. इसका सर्वे कर रिपोर्ट जमा करके डायरेक्टर को भेजा जाएगा. अगर किसानों ने राहत फसल बीमा योजना के तहत फॉर्म भरा होगा, तो उन्हें मुआवजा दिया जायेगा.

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रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड़, लातेहार

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