कोरोमंडल रेल हादसा : बाहानगा बाजार स्टेशन पर अब नहीं रुकेगी कोई ट्रेन, जानें इसकी क्या है वजह
Indian Railways News|ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस और यशवंतपुर एक्सप्रेस ट्रेन की टक्कर के बाद रेल लाइन तो क्लियर हो गया है, लेकिन बाहानगा बाजार स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव खत्म कर दिया गया है. जानें क्यों सीबीआई ने यहां ट्रेनों के रुकने पर रोक लगा दी है.
Indian Railways News: ओडिशा के बालासोर जिले में स्थित बाहानगा बाजार स्टेशन पर अगले आदेश तक कोई ट्रेन नहीं रुकेगी. रेल हादसे की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘लॉग बुक’ और उपकरण जब्त करने के बाद स्टेशन को सील कर दिया है. ‘अप’ और ‘डाउन’, दोनों लाइन पर परिचालन बहाल होने के बाद कम से कम 7 ट्रेनें बाहानगा बाजार स्टेशन पर रुक रहीं थीं.
2 जून को बाहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ था भीषण हादसा
बाहानगा बाजार स्टेशन पर 2 जून 2023 को एक भीषण रेल हादसा हुआ था, जिसमें 288 लोगों की मौत हो गयी और 1,208 अन्य घायल हुए. दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य कुमार चौधरी ने संवाददाताओं को बताया कि सीबीआई ने ‘लॉग बुक’, ‘रिले पैनल’ और अन्य उपकरण जब्त करने के बाद स्टेशन को सील कर दिया है.
रिले इंटरलॉकिंग पैनल को सीबीआई ने कर दिया सील
सीपीआरओ श्री चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘रिले इंटरलॉकिंग पैनल को सेंट्रल एजेंसी सीबीआई ने सील कर दिया गया है, जिससे सिग्नल प्रणाली तक कर्मचारी की पहुंच निषिद्ध हो गयी है. कोई सवारी गाड़ी या मालगाड़ी अगले नोटिस तक बाहानगा बाजार स्टेशन पर नहीं रुकेगी.’
ओडिशा रेल हादसे के 1208 में से 709 घायलों को मिला मुआवजा
हालांकि, प्रतिदिन करीब 170 ट्रेन बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती हैं, लेकिन केवल भद्रक – बालासोर मेमू, हावड़ा – भद्रक बाघाजतीन फास्ट पैसेंजर, खड़गपुर – खुर्दा रोड फास्ट पैसेंजर जैसी ट्रेनें एक मिनट के लिए इस स्टेशन पर रुका करती हैं. श्री चौधरी ने बताया कि 1,208 घायल व्यक्तियों में से 709 को रेलवे अनुग्रह राशि मुहैया करा चुका है.
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82 शवों की अब तक नहीं हो पायी है पहचान
उल्लेखनीय है कि 2 जून 2023 की शाम को कोरोमंडल और यशवंतपुर एक्सप्रेस की टक्कर हो गयी थी, जिसमें पौने तीन सौ लोगों की मौत हो गयी. बिहार, बंगाल और झारखंड के यात्रियों की भी इसमें मौत हो गयी थी. एक दिन पहले तक 82 शवों की पहचान नहीं हो पायी थी. शवों की पहचान के लिए ओडिशा सरकार ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ की सरकार से संपर्क किया था.