धनबाद : आइआइटी आइएसएम ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई को आसान बनाने के लिए बीते तीन माह में कई आविष्कार किये हैं. संस्थान के आविष्कारों की केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल भी प्रशंसा कर चुके हैं. संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने प्रो एआर दीक्षित के नेतृत्व में अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन चेंबर बनाया है. इसमें अस्पताल के इस्तेमाल होनेवाले कपड़ों और अन्य औजार को रखकर कोरोना वायरस समेत किसी भी तरह के वायरस से डिस-इनफेक्ट किया जा सकता है.
एक वेंटिलेटर का चार लोग कर सकते हैं इस्तेमाल : आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो एआर दीक्षित की टीम ने एक कोविड19 के इलाज में वेंटिलेटर की कमी को दूर करने का तरीका भी खोजा है. उनकी टीम ने मार्च के शुरू में वेंटिलेटर के लिए चार मुंह वाला सेक्शन पाइप बनाया है. इससे इमरजेंसी की स्थिति में एक वेंटिलेटर को चार लोग इस्तेमाल कर सकते हैं.
ऐसे करता है काम : इस प्रोग्राम के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर प्रो एआर दीक्षित ने बताया कि इस चेंबर में इनफेक्टेड कपड़ों और औजारों पर 200-280 नैनोमीटर वेव लेंथ वाली आल्ट्रा वायलेट किरणें छोड़ी जाती हैं. कुछ सेकेंड में ही इन कपड़ों और औजारों की सतह पर मौजूद किसी भी प्रकार का वायरस या बैक्टीरिया खत्म होकर मर जाता है. इस तरह चेंबर में रखा हर सामान पूरी तरह डिस-इनफेक्ट हो जाता है.
हाइड्रोफोबिक कोटिंग को मिल रही खूब तारीफ : इससे पहले संस्थान ने नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित हाइड्रोफोबिक कोटिंग तैयार की है. इसकी मदद से कपड़ों के साथ हर प्रकार की स्तह को वायरस प्रूफ बनाया जा सकता है. संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की संयुक्त टीम द्वारा सुपर कोटिंग बनाने के लिए पॉलीयुरेथेन और सिलिकॉन डाइऑक्साइड के नैनोप्रार्टिकल (अति सूक्ष्म कण) का इस्तेमाल किया, जिसे आसानी से कपड़ों स्प्रे किया जा सकता है.
संस्थान के लिए गर्व का विषय : यह संस्थान के लिए गर्व का विषय है. संस्थान के शिक्षक इस मुश्किल समय में अपनी जिम्मेवारी को बखूबी निभा रहे हैं. हाइड्रोफोबिक कोटिंग के साथ संस्थान ने कई अन्य महत्वपूर्ण उपकरण बनाये हैं. इसके साथ ही हमने पीएमसीएच को भी कई जरूरी साजो सामान से मदद की है.
– प्रो राजीव शेखर, निदेशक आइआइटी आइएसएम