देश के नौ राज्यों में कोरोना वायरस के नये रूप जेएन.1 के संक्रमण के मामले सामने आये हैं. बीते दिन 529 नये मामले आये और पांच लोगों की मौत हुई. बुधवार को मंगलवार की तुलना में दुगुने से भी अधिक लोग संक्रमित हुए. इस माह की आठ तारीख को केरल में पहली बार इस वायरस के संक्रमण के पता चला था. फिलहाल सबसे अधिक संक्रमण गुजरात और कर्नाटक में है. लेकिन यह संतोष की बात है कि कहीं भी स्थिति बिगड़ने के आसार नहीं हैं और जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है. अधिकतर संक्रमितों में लक्षण मामूली हैं. कर्नाटक में संक्रमितों को घर में रहने के निर्देश दिये गये हैं. सभी राज्यों ने अपने स्तर पर जांच और उपचार की व्यवस्था की समीक्षा की है तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी हालात पर नजर रखे हुए है. नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सांस के संक्रमण से परेशान मरीजों की कोरोना जांच अनिवार्य कर दिया गया है. एम्स ने लोगों के लिए अनेक सुझाव भी दिये हैं. अगर किसी व्यक्ति को बीते दस दिनों में सांस लेने में परेशानी हो रही हो, खांसी और बुखार हो, तो उसे कोरोना जांच करा लेना चाहिए. कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस और संक्रमण पर निगाह रखने की हिदायत देते हुए कहा था कि अभी तक की जानकारी के अनुसार यह वायरस जानलेवा नहीं है और इससे सामान्य बीमारी ही हो रही है.
भारतीय विशेषज्ञों ने भी रेखांकित किया है कि संक्रमण के कारण मौत या गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका उन्हीं रोगियों के साथ अधिक है, जिन्हें पहले से ही कोई बेहद गंभीर बीमारी है. यह तथ्य भी आश्वस्त करने वाला है कि पूर्ववर्ती वायरसों के दौरान लिये गये टीके इस वायरस का मुकाबला करने में भी सक्षम हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है, लेकिन 23 करोड़ से कम बूस्टर डोज लिये गये हैं. देश के 97 फीसदी योग्य नागरिकों ने पहली खुराक ली है, जबकि 90 प्रतिशत ऐसे लोगों ने दूसरी खुराक भी ली है. मंत्रालय ने राज्यों से जांच के काम को तेज करने को कहा है, पर यह भी सलाह दी है कि नये वायरस के लिए अतिरिक्त बूस्टर खुराक लेने की जरूरत नहीं है. उल्लेखनीय है कि भारत में चलाया गया टीकाकरण अभियान दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है. सरकार द्वारा मुफ्त टीका वितरण के कारण लगभग हर व्यक्ति खुराक पा सका. इस अभियान के चलते हम आज निश्चिंत होकर संक्रमण की चुनौती का सामना कर सकते हैं. महामारी के दौर में और बाद में अस्पतालों में सुविधाएं तो बढ़ी ही हैं, साथ ही विशेषज्ञों और चिकित्सकों के पास व्यापक जानकारी और अनुभव भी है.