नहाय-खाय के साथ चैती महाछठ व्रत 28 मार्च से शुरू हो रहा है. इसके लिए व्रती तैयारी में जुटी हैं. कोरोना वायरस को लेकर पूरा शहर लॉक डाउन होने से व्रतियों की चिंता बढ़ी हुई है. प्रशासन की ओर से दुकानों को खोलने के लिए समय निर्धारित कर दिया गया है. ऐसे में लोग छठ व्रत के लिए खरीदारी कैसे कर सकेंगे.
हालांकि, इस दौरान यह भी ध्यान रखना होगा कि भीड़ इकट्ठी न हो. ऐसे में उम्मीद लगायी जा रही हैं कि प्रशासन द्वारा घरों में या छतों पर ही घाट बनाकर, वहीं अरग देने को कहा जा सकता है. हालांकि उसमें भी हमें ये ध्यान रखना होगा कि आस-पड़ोस के लोग पहले की भांती भीड़ न लगा पाएं और आये भी तो बारी-बारी से उन्हें प्रसाद वितरण करें
इस वर्ष चैत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी शनिवार, 28 मार्च को नहाय-खाय के साथ चैती महाछठ व्रत की शुरुआत होगी. व्रती को सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पूर्ण सात्विकता के साथ अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाकर आराध्य व कुल देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए. इसके बाद व्रती इसे ग्रहण करते हैं. बाद में इसे परिजन, मित्रजनों के बीच बांटा जाता है. इस दिन नहाय-खाय के निमित्त जो व्यंजन बनते हैं उसे ही ग्रहण किया जाता है. अलग से कुछ नहीं बनता. व्यंजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
आचार्य एके मिश्रा बताते हैं कि महाव्रत का द्वितीय संयम खरना (लौहंडा) चैत शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रविवार, 29 मार्च को है. सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रती खरना की तैयारी में लग जाती हैं. जिस कक्ष में व्रत किया जाता है उसे स्वच्छ कर कुलाचार के अनुसार आम की लकड़ी, अरवा चावल, गुड़, गाय के दूध व घी से खीर बनती है. गेहूं के आटे की रोटी, पका केला रहता है. प्रदोष काल में एकांत में व्रती पूजन करती हैं. इस प्रसाद को सबसे पहले व्रती स्वयं ग्रहण करती हैं. उसके बाद ही अन्य लोगों को दिया जाता है.
चैत शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, सोमवार 30 मार्च को महाछठ व्रत है. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ अर्पण किया जायेगा. इसके निमित्त व्रती व परिजन तड़के उठकर विभिन्न प्रकार के महाप्रसाद व व्यंजन बनाते हैं. दोपहर बाद सूप व डाला सजाया जाता है. उपयुक्त समय छठ घाट व नियत स्थान की ओर सभी निकल पड़ते हैं. घाट पर व्रती सूप उठाती हैं. परिजन व अन्य अर्घ अर्पण करते हैं.
महाछठ व्रत के अगले दिन यानी चैती शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि, मंगलवार, 31 मार्च को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ अर्पित किया जायेगा. इसी दिन पारण होता है. व्रतियों को प्रयास करना चाहिए कि घर में आराध्य व कुल देवी -देवताओं को महाप्रसाद अर्पण करने के बाद कुलाचार विधि से पारण करना चाहिए. सुबह 7:19 बजे से पूर्व पारण करना उत्तम रहेगा.
पिछले तीन साल से चैती छठ और 12 साल से शारदीय छठ कर रही हूं. दंडवत करते हुए घाट जाकर सूर्यदेव को अर्घ अर्पित करती हूं. इस बार घाट जाना मुश्किल है, इसलिए घर पर अर्घ देना पड़ा तो 11 या 21 बार दंडवत करूंगी. पहले से फल व प्रसाद खरीदा नहीं जा सकता. कोई जूठा न कर दे यह डर रहता है.
-नीतू देवी, दाईगुट्टू मानगो
कोरोना वायरस को लेकर थोड़ी चिंतित हूं. प्रशासन के आदेश की अवहेलना नहीं की जायेगी. भीड़ से बचने के लिए इस बार घाट नहीं, मंदिर में ही पूजा होगी. फल, फूल आदि प्रसाद नहीं मिलने पर पान कसैली से पूजा करूंगी. मेरी मन्नत पूरी हुई है, इसलिए मां की पूजा रुकेगी नहीं.
-रेणु मिश्रा, बजरंग नगर, गोलमुरी
पिछले 15 साल से चैती महाछठ और शारदीय छठ कर रही हूं. इस बार बाजार बंद होने से स्वाभाविक रूप से परेशानी बढ़ गयी है. पूर्व में नदी घाट पर ही अर्घ अर्पित करती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस को देखते हुए घर पर ही अर्घ अर्पण होगा. ट्रेन बंद है तो गांव से भी कोई नहीं आ रहा है. पड़ोसी की मदद से पूजा होगी.
-प्रेमशिला सिंह, बारीडीह बस्ती