‘षडाष्टक योग’ से फैला Corona, जून से कमजोर, सितंबर में होगा इसका अंत, पढ़ें ये भविष्यवाणी
coronavirus prediction astrology भारत समेत पूरे विश्व में लॉकडाउन की वजह से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ चुकी हैं. विश्व का आधुनिक विज्ञान अब तक इस बीमारी को खत्म करने की दवा नहीं खोज पाया है. वहीं, ज्योतिष की कई विधाओं में इस बीमारी को लेकर भविष्यवाणियां व समाधान ढूंढ़ने का प्रयास किया जा रहा है. इन्हीं में से एक है मेदिनी ज्योतिष, जिसमें प्राकृतिक आपदा और महामारियों का विश्लेषण किया जाता है. इस विधा के जानकारों से कोरोना वायरस को लेकर बात की हमारे संवाददाता दुष्यन्त तिवारी ने. प्रस्तुत है यह रिपोर्ट-
दुष्यन्त तिवारी
कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए घोर विपदा के रूप में सामने आया है. अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली जैसे शक्तिशाली देश इस जानलेवा बीमारी के सामने घुटने टेक चुके हैं.
भारत समेत पूरे विश्व में लॉकडाउन की वजह से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ चुकी हैं. विश्व का आधुनिक विज्ञान अब तक इस बीमारी को खत्म करने की दवा नहीं खोज पाया है. वहीं, ज्योतिष की कई विधाओं में इस बीमारी को लेकर भविष्यवाणियां व समाधान ढूंढ़ने का प्रयास किया जा रहा है. इन्हीं में से एक है मेदिनी ज्योतिष, जिसमें प्राकृतिक आपदा और महामारियों का विश्लेषण किया जाता है. इस विधा के जानकारों से कोरोना वायरस को लेकर बात की हमारे संवाददाता दुष्यन्त तिवारी ने. प्रस्तुत है यह रिपोर्ट-
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मेदिनी ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) की शुरुआत, इसके फैलने की रफ्तार और इस थमने का वक्त, सब कुछ ग्रहों की चाल और विभिन्न राशियों में उनके भ्रमण पर निर्भर है. इस लिहाज से भारत समेत पूरे विश्व में पांच जून 2020 से कोरोना वायरस का प्रकोप कम हो जायेगा और 20 सितंबर 2020 के बाद धीरे-धीरे यह खत्म भी हो जायेगा. खैर, उससे पहले हम कोरोना के प्रारंभ के कारण और उसके प्रसार की बात करते हैं.
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ज्योतिर्विद कहते हैं कि कोरोना वायरस जैसी किसी महामारी के संकेत पांच नवंबर 2019 को ही मिल गये थे. उसी तिथि को बृहस्पति ग्रह, शनि ग्रह और केतु (मस्तिष्क विहीन छाया ग्रह) धनु राशि में आये थे.
शनि : रसायन, विष, हवा और कष्ट के कारक हैं, वहीं बृहस्पति जीव के कारक हैं. केतु रहस्यमयी रोग का कारक है. जबकि, धनु राशि पूर्व दिशा का कारक है. वहीं, तीनों ग्रहों की दृष्टि मिथुन राशि, जो श्वसन तंत्र का कारक हैं, पर पड़ रही है. इन सभी को एक साथ जोड़ने पर स्पष्ट हो जाता है कि कोरोना वायरस जैसे रोग की शुरुआत पूर्व दिशा में स्थित देश चीन से हुई, जो इंसानों के श्वसन तंत्र पर हमला करता है.
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26 दिसंबर 2019 को धनु राशि पर मूल नक्षत्र की उपस्थित में सूर्य ग्रहण लगा था. इसमें सूर्य, चंद्र, केतु, बुध एवं बृहस्पति की युति बनी थी. यह युति भी विशेष संक्रमण के द्वारा महामारी के फैलने और प्राकृतिक आपदाओं का कारण बना.
‘षडाष्टक योग’ से फैला कोरोना : उक्त तीनों ग्रहों बृहस्पति, शनि और केतु की दृष्टि मिथुन राशि में बैठे राहु पर पड़ी. चूंकि, राहु संक्रमण का कारक है, इसलिए वह कोरोना के संक्रमण को फैलाने में सहायक सिद्ध हुआ है. 24 जनवरी को मकर राशि पर राहु के साथ शनि की स्थिति से अशुभ फलदायी ‘षडाष्टक योग’ बना.
जब शनि से राहु छठे भाव में और राहु से शनि आठवें भाव में हों, तो षडाष्टक (रोग से मृत्यु) योग बनता है. क्योंकि छठा भाव रोग कारक और आठवां भाव मृत्यु कारक होता है. 22 मार्च के बाद मकर पर गुरु, शनि और मंगल की युक्ति से यह महामारी प्रचंड वेग से फैली. इसके साथ ही उत्पाताध्याय के अनुसार शनि और मंगल की युति से पृथ्वी पर भूकंप, हिंसात्मक घटनाएं, आतंकी हमले आदि अनिष्टों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
पांच जून से मंद पड़ेगी कोरोना की रफ्तार : मेदिनी ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में आ चुके हैं, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रभाव थोड़ा कम हुआ है. इधर, 21 मई को राहु आर्द्रा नक्षत्र छोड़कर मृगशिरा नक्षत्र में चला जायेगा.
वहीं, राहु व बुध में चल रहे ग्रह युद्ध में 29 मई को बुध विजयी होकर स्वयं की राशि मिथुन में ताकतवर हो जायेंगे. साथ ही विषाणु जनित इस संक्रामक रोग के प्रभाव को कम करने में जुट जायेंगे. पांच जून 2020 को राहु सूर्य के सानिध्य में अस्त होंगे, जिसकी वजह से कोरोना के संक्रमण की रफ्तार मंद पड़ जायेगी. 19 जून को मंगल की दृष्टि राहु पर पड़ रही है. इससे भी संक्रामक रोग के कम होने के आसार नजर आ रहे हैं.
भारत की कुंडली में कोरोना का प्रकोप
डॉ सीएस मिश्र
डॉ डीके दुबे
डॉ एसके घोषाल
(सभी रांची विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में प्राध्यापक हैं)
हमारे देश भारत की कुंडली में 15 मई से 25 मई के बीच वृष राशि पर सूर्य और बुध की स्थिति का योग बन रहा है. चूंकि सूर्य का संबंध यौगिक एवं अन्य चिकित्सा पद्धतियों से है और बुध का संबंध जड़ी-बूटी एवं आयुर्वेद से है. ऐसे में उक्त तिथि के बीच आयुर्वेद एवं अन्य चिकित्सा स्रोतों से भारत में कोरोना वायरस पर नियंत्रण के प्रबल योग बन रहे हैं.
वहीं, 30 जून को जीव कारक ग्रह बृहस्पति वापस धनु राशि में आ जायेंगे, जिससे पृथ्वी पर प्राण का संचालन होगा. हालांकि, इससे पहले 21 जून को आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा. उस दिन सूर्य, बुध, राहु तथा चंद्रमा का संयोग होने के कारण दुर्घटनाएं तथा घटनाएं होने की आशंका दिख रही है. मेदिनी ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 20 सितंबर 2020 को राहु व शनि का षडाष्टक योग समाप्त हो जायेगा, जिसके बाद भारत समेत पूरे विश्व को कारोना वायरस की महामारी से छुटकारा मिलने की उम्मीद है.