बिहार के जमुई में अस्पताल प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जमुई सदर पीएचसी में बीते चार दिसंबर की एक नाबालिग को कोरोना की वैक्सीन लगा दी गई. अब उस नाबालिग की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
नाबालिग के पिता सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र के धर्मन्द्र यादव ने बताया कि मेरी पुत्री शहर के बोधवन तालाब स्थित विजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कस्टमर सर्विस को लेकर दिए जा रहे प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है, उसकी उम्र 17 वर्ष है, वह अपनी अन्य सहेली के साथ बीते चार दिसंबर को जिला मुख्यालय स्थित सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के टीकाकरण केंद्र गई थी. आरोप है कि वहां स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे कोविड-19 का पहला डोज दे दिया.
लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि टीका देने से पहले बच्ची के आधार कार्ड की जांच नहीं की गयी. जबकि उक्त टीकाकरण के वक्त एएनएम के द्वारा बच्ची के आधार कार्ड की फोटो कॉपी भी ली गयी. जिसपर उसकी जन्मतिथि छह दिसंबर 2004 दर्ज है. इसके मुताबिक भी वह नाबालिग है. बावजूद टीका कर्मी के द्वारा टीका दिया गया. जबकि सरकारी निर्देश के मुताबिक वर्तमान में 18 वर्ष से नीचे किसी को अभी वैक्सीन नहीं लगाया जा सकता.
बताया गया कि टीका लेने के बाद लड़की की तबीयत बिगड़ गई, स्थानीय स्तर पर इलाज भी कराया गया. वह बार-बार बेहोश हो जा रही थी, चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल में जाने की सलाह दी.
लड़की के पिता ने बताया बीते रविवार कि देर रात वह पुनः बेहोश हो गई आनन फानन में सदर अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए हैं. इस मामले पर सदर पीएचसी प्रभारी का कहना है कि ये उनके अस्पताल का मामला नहीं हो सकता. जबकि सिविल सर्जन ने मामले की जांच कराने की मांग की.
Published By: Thakur Shaktilochan