धनबाद : सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने कहा है कि भारत में कोविड 19 पर नियंत्रण के लिए लाये गये दोनों वैक्सीन पूरी तरह सक्षम व सुरक्षित है. सीएसआइआर भी जल्द ही एक वैक्सीन तैयार करेगा. सीएसआइआर कोरोना से निबटने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ मिल कर आयुर्वेदिक दवा भी तैयार करने में लगा है. उम्मीद है कि मार्च तक यह दवा भी बन जायेगी. संस्थान ने एक ऐसा सैनिटाइजर मशीन विकसित किया है, जो एसी से इस बीमारी को फैलने से रोकने में पूरी तरह कामयाब है. श्री मांडे रविवार को सिंफर सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
महानिदेशक ने कहा कि कोरोना से लड़ाई में संस्थान के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. डब्ल्यूएचओ द्वारा 11 मार्च को इस बीमारी को महामारी घोषित किया गया था, जबकि सीएसआइआर ने फरवरी 2020 में ही इस महामारी को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी. सबसे पहली दवा भी बनायी, जो सिपलिन के नाम से बाजार में उपलब्ध है. इसका उपयोग देश के अधिकतर अस्पतालों में कोरोना के उपचार में हो रहा है. इस बीमारी को लेकर चार-पांच आयुर्वेदिक दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल भी चल रहा है.
डीजी ने कहा कि सीएसआइआर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिये केवल सात दिनों में स्थायी भवन तैयार किया जा सकता है. कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में पांच के अलावा गायिजाबाद में एक अस्पताल भवन तैयार किया गया है. झारखंड सरकार भी कहे, तो यहां भी इस तकनीक से अस्पताल भवन तैयार कर सकते हैं. एक सवाल के जवाब में उन्हाेंने कहा कि यूके से आया नया कोरोना वायरस जानलेवा नहीं है. हालांकि यह तेजी से फैलता है.
केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हाेंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए पेरिस समझौता को लागू कराने में इस संस्थान की महत्वूपर्ण भूमिका होगी. यहां के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को डेढ़ से दो डिग्री तक करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हाेंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में सिंफर को 1011 करोड़ की आय हुई.
सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने कहा कि कोयले से ईंधन (तेल) बनाने की तकनीक तैयार है. इसको लेकर अडाणी समूह से एमओयू भी हो चुका है, पर उत्पादन लागत अधिक है. आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग किया जायेगा. उन्हाेंने कहा कि कोयला कंपनियों में गैसिफिकेशन का काम चल रहा है. अक्तूबर तक यह पूरा हो जायेगा. इस दौरान सिंफर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सिद्धार्थ सिंह भी मौजूद थे.
डीजी ने कहा कि सिंफर के 75 वर्ष पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 16 नवंबर को धनबाद आ सकते हैं. इसके लिए तैयारी शुरू हो गयी है. सिंफर डिगवाडीह शाखा को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए राज्य सरकार के तरफ से 10 फरवरी तक का समय लिया गया है. पीएम वहीं पर आयेंगे.
Posted by : Sameer Oraon