बिन्नागुड़ी : बानरहाट के विज्ञान लेखक एवं चिकित्सक डॉक्टर पार्थ प्रतिम ने दावा किया है कि कोरोना वायरस का ईलाज उनके पास है. इस वायरस से बचाव और ईलाज दोनों होम्योपैथी में संभव है. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय अधीन सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी की 64 वीं साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड बैठक में 28 जनवरी को कोरोना के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली औषधि को मान्यता दी है. आर्सेनिक एल्बम 30 औषधि प्रतिरोध करने के लिए सक्षम है.
यह औषधि तरल एवं दानादार दोनों रूप में ली जा सकती है. इस औषधि को पानी के साथ मिश्रित करके खाली पेट में खाया जाता है. उन्होंने कहा कि होम्योपैथी प्रॉबिंग पद्धति रोगी की प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है. चिकन पॉक्स के प्रतिरोध में यह पद्दति काफी कारगर साबित हुई है. उत्तर बंगाल में फिलहाल मौसम बदल रहा है. वैसे भी इस बदलते मौसम में बुखार, सर्दी, खांसी का प्रकोप अक्सर देखा जाता है. कोरोना वायरस के प्राथमिक लक्षण में भी सर्दी, खांसी, बुखार एवं श्वास कष्ट देखा जाता है.
डॉ पार्थ प्रतिम ने बताया कि होम्योपैथी दवा अगर सटीक रूप से दिया जाये तो इस रोग से मुक्ति संभव है. उन्होंने बताया इस रोक को आतंकित बनाने के लिए एक हद तक मीडिया भी कसूरवार है. कोरोना वायरस को लेकर लोगों से भयभीत नहीं होने एवं सचेत रहने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने चाय बागान क्षेत्र में कोरोना को लेकर जागरूकता शिविर लगायी है. लोगों में कोरोना को लेकर किसी भी प्रकार की गलतफहमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. उल्लेखनीय है डॉ पार्थ प्रतिम को हाल में ही उनके विज्ञान संबंधी सामाजिक कार्य के लिए नयी दिल्ली में डॉक्टर अब्दुल कलाम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.