Coronavirus 3rd Wave News (संजीव झा, धनबाद) : कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर की चर्चा तेज हो गयी है. कोरोना की तीसरी लहर के दौरान बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने की संभावना जतायी जा रही है. इसको लेकर ऐसे PICU की जरूरत है जहां छोटे बच्चों के साथ-साथ उनकी मां के लिए भी बेड लगायी जा सके. वयस्कों की तरह 85 फीसदी बच्चों में भी कोरोना बिना लक्षण के होने की ज्यादा संभावनाएं है. एक-दो फीसदी बच्चे ही
गंभीर या मध्यम रूप से बीमार पड़ सकते हैं. हालांकि, पहले और दूसरी लहर में भी बच्चों में संक्रमण फैला ही है. यह बातें एशियन जालान अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ सह जिला प्रशासन द्वारा गठित PICU कोर टीम के सदस्य डॉ अभिषेक शुक्ला ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कही.
डॉ अभिषेक शुक्ला ने कहा कि पहले दोनों लहरों से सीख लेते हुए तीसरी लहर से बचाव के लिए तैयारी जरूरी है. बच्चों में मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MISC) एक खास तरह की बीमारी जो बच्चों में ही पायी जाती है, जो करोना समय में बच्चों में खास कर ज्यादा देखा जा रहा है. गंभीर स्थिति में वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन, टीकाकरण के कारण इसकी उम्मीद कम है. 5 फीसदी बच्चे ही गंभीर हो सकते हैं.
यहां के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में PICU वार्ड बनाये जा रहे हैं. एक माह से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों को PICU में रखा जायेगा. मां को भी बच्चों के साथ रखने लायक बेड तैयार किया जा रहा है. इससे ऊपर के किशोरों को Normal ICU में रख कर उपचार किया जायेगा. बच्चों को भी वयस्कों की तरह लक्षण आने पर आइसोलेट करना पड़ेगा.
Also Read: Unlock 1 In Jharkhand : झारखंड में Unlock के मूड में सरकार ! सीएम हेमंत सोरेन ने आम लोगों से सोशल मीडिया ट्विटर पर मांगी राय, पूछा-कैसी हो Unlock की प्रक्रिया ?
कोरोना की तीसरी लहर में भी बच्चों में बड़ों की तरह ही कोविड के लक्षण आ सकता हैं. इसमें 5 दिन से ज्यादा हल्का बुखार, सर्दी-खांसी के अलावा आंखों में लालीपन, पेट दर्द, लूज मोशन, शरीर में लाल दाग के निशान जैसे लक्षण आ सकते हैं. ऐसे लक्षण दिखे तो सचेत हो जायें. इस बार बच्चों में बुखार का दौरा पड़ सकता है. इसमें अचानक 102 डिग्री से ज्यादा बुखार हो सकता है. ऐसे बच्चे को तत्काल डॉक्टर से दिखा कर इलाज शुरू कराना चाहिए. कोरोना से दूसरी लहर में फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हुए. उसी तरह तीसरी लहर में कोरोना से ब्रेन, किडनी, हार्ट पर असर पड़ सकता है. यह म्यूटेंट के ऊपर निर्भर करेगा.
डॉ शुक्ला कहते हैं कि इस बीमारी से बचाव के लिए दो से पांच वर्ष तक के बच्चों को फ्लू का कम से कम दो टीका लगवा दें. तीसरी लहर के सितंबर-अक्तूबर तक आने की संभावना जतायी जा रही है. तब तक अगर दो से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए वैक्सीन आ जाता है. तब उसे ले लेना चाहिए. वैक्सीनेशन ज्यादा हो गया, तो शायद अमेरिका और दूसरे देशों की तरह भारत में कोरोना की तीसरी लहर में ज्यादा क्षति नहीं होने का अनुमान है.
डॉ शुक्ला ने कहा कि बच्चों में कोमोबेलिटी (बीपी, शुगर) की समस्या नहीं होती. इसलिए उनमें रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. इसलिए जो बच्चे गंभीर रूप से संक्रमित भी हुए, तो उन्हें हाइ फ्लो ऑक्सीजन व अन्य दवाओं के जरिये ठीक किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की आशंका अभी वर्ष 2023 तक है. इसलिए हर कोई चाहे बच्चा हो या वयस्क अगले दो वर्ष तक मास्क लगायें. साथ ही सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करें. कोरोना की तीसरी लहर में 85 फीसदी बच्चों में भी नहीं दिखेगा संक्रमण का लक्षण तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें।
Also Read: कोरोना की रिकवरी रेट झारखंड में 95 फीसदी से अधिक, 10 हजार से नीचे आये एक्टिव केस, जानें ताजा हालात
Posted By : Samir Ranjan.