दरभंगा : पुत्र के जन्म लेते ही बुढ़ापे का सहारा बनने की उम्मीद पालने वाले प्रायः प्रत्येक पिता की तमन्ना अपने बेटों के कंधे पर अंतिम यात्रा करने की होती है, लेकिन कोरोना को लेकर फैले अफवाह ने मानो लोगों को इंसानियत से भी दूर कर दिया है. स्थिति इस कदर बन गई है कि अंतिम संस्कार करने के बदले पिता की लाश पानी फेंक बेटे भाग गए. परंपरा एवं संस्कृति-संस्कार के धरोहर को तार-तार करने वाला एक ऐसा ही मामला सोमवार की रात सामने आया. इसने जहां मानवता को झकझोर दिया, वही कोरोना को लेकर लापरवाही बरतने वालों के सामने कड़वी सच्चाई भी परोस गया.
लहेरियासराय के एक मोहल्ले में दो दिन पूर्व बिजली का काम करने वाले एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाये गये. प्रशासन ने घर को सील कर दिया. इसी बीच सोमवार को उस व्यक्ति की मौत हो गई. संक्रमित होने की सूचना मिलते ही दूरी बनाने वाले अपने लोगों को जब यह पता चला कि उनकी मौत हो गई है तो सभी ने मुंह फेर लिया. अंतिम संस्कार के लिए भी साथ जाने को कोई तैयार नहीं हुआ.
बताया जाता है कि सोमवार की देर शाम चार लोग लाश लेकर श्मशान घाट पहुंचे. डीएमसीएच में एक दिन पूर्व कोरोना संक्रमण से हुई मौत मामले में दाह संस्कार के लिए प्रशासन के अधिकारियों के संग जनप्रतिनिधि आदि वहां पहले से मौजूद थे. इन लोगों को बिना किसी संस्कार सामग्री के पहुंचे देख जब वहां लोगों ने सवाल किया, तो लकड़ी आदि लाने की बात कर सभी निकल गए. काफी देर बाद भी इन लोगों के नहीं लौटने पर वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को इसका ध्यान आया. इसके बाद वे लोग लाश ढूंढने लगे, लेकिन आसपास कहीं भी शव नजर नहीं आया. इसके बाद मृतक के परिजनों से संपर्क किया गया. पहले समझाने की कोशिश की गई.
बाद में प्रशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई, तो मृतक के दो पुत्र वापस लौटे. लाश के बावत पूछे जाने पर वही बगल में जमा पानी में शव रख दिए जाने की बात बतायी. इसके बाद शव के अंतिम संस्कार कराने में प्रशासनिक अधिकारियों के अतिरिक्त वार्ड पार्षद प्रतिनिधि नफीसुल हक रिंकू, जिला शांति समिति सदस्य नवीन कुमार सिन्हा, बजरंग दल के जिला संयोजक राजीव प्रकाश मधुकर सहित अन्य लोग जुट गए. इस घटना की सूचना से पूरा समाज स्तब्ध है.
posted by ashsish jha