राजीव रंजन
प्राध्यापक,
शंघाई विश्वविद्यालय
mrajivranjan@gmail.com
Chinese economy recovering from Corona crisis चीन से निकला कोरोना संकट न केवल एक स्वास्थ्य आपदा है, बल्कि गढ़े गये सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी जोरदार आघात है. भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारीकरण का पूरा ढांचा लड़खड़ा रहा है. देश अपने कवच में सिमट से गये हैं. पर विश्व इस लॉकडाउन से निकलने की कश्मकश में हैं. चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हुबेई प्रांत में पिछले एक महीने से कोई नया केस नहीं दिखा है और जिस दिन भारत में लॉकडाउन हुआ, उसी दिन हुबेई प्रांत का तथा वुहान शहर का आठ अप्रैल को लॉकडाउन खत्म किया गया. चीन कोरोना को नियंत्रित करने के बाद आम जीवन और गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद में है.
चीनी सांख्यिकी ब्यूरो ने पिछले महीने जारी रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष की पहली तिमाही में चीनी विकास दर में 6.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी, जो 1992 से शुरू हुई गणना के बाद किसी साल की पहली तिमाही में गिरावट पहली बार हुई है. चीन का सकल घरेलू उत्पादन 2020 की पहली तिमाही में 6.8 प्रतिशत संकुचित होकर साल-दर-साल के स्तर पर केवल 20.65 ट्रिलियन युआन (लगभग डॉलर 2.91 ट्रिलियन) रहा.
इस गिरावट से कई छोटी व मझोली कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर जा सकती हैं तथा रोजगार और आमदनी में कमी आयेगी. फैक्ट्री उत्पादन मार्च में 1.1 प्रतिशत घट गया था, जो कार्य के पुन: आरंभ होने पर बढ़ेगा. लॉकडाउन के कारण खुदरा बिक्री 15.8 प्रतिशत घट गयी तथा बेरोजगारी में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसकी दर फरवरी में 6.2 प्रतिशत थी. आर्थिकी में सेवा क्षेत्र की भागीदारी जीडीपी का लगभग 60 प्रतिशत थी, वह 5.2 प्रतिशत कम हो गयी, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र में क्रमशः 3.2 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी. विश्व आर्थिक संगठन ने इस वर्ष चीन के सकल घरेलू उत्पादन में 1.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो अगले साल बढ़कर 9.2 प्रतिशत हो सकती है.
वर्ष 2020 दो मामलों में चीन के लिए महत्वपूर्ण है. पहला, यह ‘13वीं पंचवर्षीय योजना’ का अंतिम वर्ष है और दूसरा, चीन को गरीबी से मुक्त कर विकास लक्ष्यों में से एक ‘औसत समृद्ध समाज’ बनाना था. कोरोना संकट के कारण ये लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है, पर चीनी सरकार कई स्तरों पर और विशेष कार्यक्रमों के द्वारा इसको पूर्ण करने की कोशिश में है. चीन के केंद्रीय बैंक ने छोटी और मझोली कंपनियों हेतु ऋण को बढ़ावा देने के लिए एक ट्रिलियन युआन बैंको को मुहैया कराया है. चीन के कई प्रांतों ने ऐसी औद्योगिक इकाइयों को आर्थिक संकट से बचाने के लिए आर्थिक सहायता पैकेज, कर में छूट, कामगारों को सहायता देने की घोषणा की है. वहीं सरकार ने इन्हें सामाजिक सुरक्षा योगदान में अस्थायी छूट दी है.
इन्हें सामाजिक सुरक्षा कोष, पांच बीमा- पेंशन, मेडिकल, बेरोजगारी, कार्य से जुड़े चोट और मातृत्व बीमा तथा एक आवासीय कोष में एक निश्चित रकम जमा करनी होती है. तात्कालिक रूप से बेरोजगारी भत्ता का विस्तार, प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सहायता, छोटे और मझोले उद्यमों का तीन महीने का किराया माफ जैसी पहलें हुई हैं. अगर कोई निजी स्वामित्व वाला किराया माफ करता है, तो उसे कर में छूट दी जा रही है. चीनी राज्य काउंसिल ने 28 अप्रैल को औद्योगिक उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सूचना नेटवर्क सहित नये बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने का निर्णय किया है, ताकि नवोन्मेष और रोजगार बढ़े. कोरोना के दौरान ऑनलाइन व्यावसाय में काफी बढ़ोतरी हुई, इसलिए चीन इस क्षेत्रों में रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए सूचना नेटवर्क सहित नये बुनियादी ढांचे का विकास करेगा.
वुहान शहर ने घरेलू खपत बढ़ाने तथा वाणिज्यिक, व्यापार तथा यात्रा संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने के लिए 7.6 करोड़ डॉलर (500 मिलियन युआन) मूल्य के वाउचर निवासियों में वितरित किया है, जिसमें 18 मिलियन युआन सिर्फ शहर के गरीबों को दिया गया है. ये वाउचर चीन के तीन बड़े इ-कॉमर्स कंपनियों द्वारा वितरित हुए हैं. बीजिंग ने सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 50 मिलियन युआन (7 मिलियन डॉलर) के इ-वाउचर जारी किया है, जिससे पुस्तक, कला प्रदर्शन, पर्यटन, शिक्षा और मनोरंजन उत्पादों की खरीद की जा सकती है. इसी प्रकार अन्य शहरों ने भी स्थानीय खपत बढ़ाने के लिए कई छूटों तथा आर्थिक मदद की पहल की है.
प्रवासी मजदूर, जो नव वर्ष मनाने अपने घर लौटे थे, कोरोना की वजह से अभी शहर नहीं लौट सके हैं. चीनी कृषि विशेषज्ञ चू छिचन मानते हैं कि ग्रामीण विकास को पुनर्जीवित करने के लिए यह एक अच्छा अवसर है तथा ग्रामीण बुनियादी ढांचे और कृषि के बुनियादी ढांचे को व्यापक रूप से विकसित करने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन गांव में ही मौजूद है. दूसरी ओर, ग्रामीण सेवा उद्योग को भी सरकारी सहायता से विकसित किया जाना चाहिए, जैसे पेंशन सेवा प्रणाली गांव में भी लागू हो. सरकार को स्थानीय रोजगार पर बल देना चाहिए. जैसा प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गांव को अब स्वालंबी बनाना होगा, वैसा ही कुछ चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रकोप के बाद लोग ग्रामीण इलाकों में रहेंगे और एक नयी दुनिया का निर्माण करेंगे.
चीनी स्टेट काउंसिल ने एक निर्देश में कहा है कि प्रवासी मजदूरों को काम पर लौटने में मदद करने के लिए देश ‘प्वाइंट-टू-प्वाइंट’ नॉन-स्टॉप परिवहन की व्यवस्था करे तथा प्रवासी मजदूरों को उनके निकट के क्षेत्र में काम मिले, इसके लिए प्रयासरत हो. सबसे आश्चर्य यह है कि जहां वैश्विक वित्तीय बाजार में उथल-पुथल मचा हुआ है, वहीं चीन का स्टॉक, बॉन्ड, और विदेशी मुद्रा बाजार मजबूत बना रहा है, जिससे चीन के बुनियादी आर्थिक स्थिति पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. इससे सरकार आश्वस्त है कि चीनी अर्थव्यवस्था जल्दी ही पटरी पर दौड़ती नजर आयेगी. उत्तर कोरोना विश्व किस करवट बैठेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, परंतु यह निश्चित है कि कुछ स्थापित मान्यताएं बदलेंगी और कुछ नये प्रतिमान बनेंगे.