Coronavirus In Jharkhand : धनबाद (संजीव झा) : कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के उपचार के लिए बने डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में मरीजों को वेंटिलेटर पर नहीं रखा जा रहा है. यहां ऐसे मरीजों को इंट्यूबेशन डाल कर उपचार करने की बजाय ऑक्सीजन लगा कर धनबाद से बाहर रेफर कर दिया जा रहा है. इतने बड़े अस्पताल में सिर्फ छह बेड का आइसीयू है, जिसमें चार का ही उपयोग हो रहा है. दो दर्जन से ज्यादा नया वेंटिलेटर बेकार पड़ा हुआ है. इलाज में लापरवाही से मरीजों की जान जोखिम में है.
बीसीसीएल द्वारा संचालित सेंट्रल अस्पताल एक समय धनबाद ही नहीं, आस-पास के लिए कई जिलों के लिए सबसे बड़ा अस्पताल था. आज भी इतनी आधारभूत संरचनाएं किसी अस्पताल के पास नहीं हैं. जिला प्रशासन ने अप्रैल में इस अस्पताल के एक भाग का अधिग्रहण कर एक सौ बेड का कोविड अस्पताल बनाया था. हालांकि, यहां पर चिकित्सकीय व्यवस्था बीसीसीएल के पास ही है. बाद के दिनों में जिला प्रशासन ने कई नये कोविड केयर सेंटर बनाये. अब डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में केवल गंभीर या लक्षण वाले कोविड मरीजों को ही भेजा जाता है.
अस्पताल में क्षमता से कम ही मरीज रह रहे हैं. इसके बावजूद थोड़ी सी भी स्थिति बिगड़ने पर मरीज को रिम्स या किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. डॉक्टर वेंटिलेटर पर रखने से परहेज करते हैं. सूत्रों के अनुसार अब तक कोविड अस्पताल में गंभीर मरीजों को इंट्यूबेशन (गले में पाइप डालकर) नहीं डाला गया. इसमें मरीज से बिल्कुल सटकर मुंह के जरिये पाइप डाला जाता है. इसके चलते संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. इस कारण यहां के डॉक्टर इसके प्रयोग से बचते हैं.
Also Read: Jharkhand News : तीन दिवसीय दुमका दौरे पर हैं सीएम हेमंत सोरेन, जानिए लेटेस्ट अपडेटडॉक्टरों का कहना है कि ट्रेंड नर्सिंग स्टॉफ की कमी के कारण इंट्यूबेशन नहीं किया जा रहा क्योंकि ऐसे मरीजों को नियमित देख-रेख की जरूरत होती है. हर आधा घंटा पर ट्यूब के पाइप को साफ करना पड़ता है. यह सब करने के लिए कोई तैयार नहीं है. मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होते ही सिलिंडर के जरिये ऑक्सीजन दिया जाता है. जिस मरीज की आर्थिक स्थिति थोड़ी अच्छी रहती है, उन्हें बड़े निजी अस्पतालों तथा जिनकी खराब रहती है, उन्हें रिम्स रेफर कर दिया जाता है. जिस मरीज के परिजन बाहर ले जाने में समर्थ नहीं रहते हैं, उनकी मौत हो जाती है.
Also Read: Jharkhand News : ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन क्लास करना हुआ मुश्किल, नेटवर्क ही ढूंढते रह जा रहे छात्रसूत्रों के अनुसार अस्पताल के मरीजों को ऑक्सीजन लगाने के लिए भी स्टॉफ जल्दी नहीं जाते. मरीजों तक सिलिंडर पहुंचा कर खुद से लगाने को कह दिया जाता है. 31 जुलाई को झरिया का एक मरीज खुद से जब ऑक्सीजन सिलिंडर लगा रहा था, तब वह फट गया था. उससे उसकी तत्काल मौत हो गयी थी. हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने इस घटना को गलत बताया था. कहा था कि मरीज की हालत गंभीर थी. उस मरीज को भी रिम्स रेफर किया गया था, लेकिन परिजन जब तक ले जाने की व्यवस्था करते, मरीज की मौत हो चुकी थी.
Also Read: Jharkhand News : पानी की तेज धार में बहे पलामू के तीन लड़के, एक का शव बरामद, पढ़िए लातेहार में कैसे हुआ ये बड़ा हादसा ?टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो कोरोना से ग्रसित होने के बाद कोविड अस्पताल में भर्ती हुए. एक सप्ताह तक इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें टीएमएच जमशेदपुर रेफर कर दिया गया था. बीसीसीएल के जीएमपी एके दुबे कोरोना पॉजिटिव हुए तो उन्हें भी दो दिन बाद कोलकाता रेफर कर दिया गया. ऐसे दर्जनों मरीज हैं, जिन्हें यहां से दूसरे अस्पतालों में रेफर किया गया. यहां पर रेफर का सिलसिला जारी है.
Also Read: Jharkhand News : चार लोगों की हत्या से गुमला में दहशत, पढ़िए क्या है इस हत्या का राज ?कोविड अस्पताल में कई आइसीयू हैं, लेकिन फिलहाल सिर्फ एक ही आइसीयू यूनिट चालू है. उपायुक्त उमाशंकर सिंह के अनुसार कोविड अस्पताल में चार आइसीयू बेड ही काम कर रहा है. धनबाद जैसे बड़े जिले के लिए यह नाकाफी है, जबकि पीएमसीएच कैथ लैब में जिला प्रशासन ने 30 बेड का नया आइसीयू बना दिया है. साथ ही कोविड अस्पताल को जिला प्रशासन तथा विभिन्न संस्थानों से प्राप्त दो दर्जन से ज्यादा वेंटिलेटर का प्रयोग ही नहीं हुआ. ऑक्सीजन की पाइपलाइन तक नहीं लगायी गयी है.
धनबाद के उपायुक्त उमा शंकर सिंह कहते हैं कि कोविड अस्पताल की स्थिति सुधारने के लिए हर विकल्प खुले हुए हैं. बीसीसीएल प्रबंधन को पहले भी (12 अगस्त को) पत्र भेजा गया था. 13 सितंबर को फिर से पत्र भेज कर एक सप्ताह में सुधार के लिए कदम उठाने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरे अस्पताल को टेकओवर कर सकता है, लेकिन ऐसी स्थिति में बीसीसीएल के चिकित्सकों एवं पारा मेडिकल स्टाफ से काम लिया जायेगा. धनबाद के लोगों को बेहतर चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करायी जायेगी.
Also Read: दुमका में बोले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड के मजदूरों से घूमता है देश का आर्थिक पहियासभी मरीजों के प्लस व ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए प्लस ऑक्सीमीटर होना चाहिए. यहां पूरे एक सौ बेड के अस्पताल में मात्र चार ऑक्सीमीटर है. उसमें भी दो काम नहीं करता. पाइपलाइन के जरिये ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए, जो सिलिंडर के जरिये होता है. वह भी अनमने तरीके से. गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत है. यहां केवल चार वेंटिलेटर कार्यरत है. बाकी बेकार पड़ा हुआ है. शौचालय, वार्ड की नियमित सफाई व सैनिटाइजेशन होना चाहिए.
Also Read: Jharkhand News : पैरोल पर कड़ी सुरक्षा में रांची आए इस गैंगस्टर ने किया मां का अंतिम संस्कार, पढ़िए कौन है वह कुख्यात अपराधी ?हर जगह गंदगी का आलम है. मरीजों द्वारा लगातार ऐसी तस्वीरें शेयर की जाती रही हैं. जीवन रक्षक दवाइयां रहते हुए भी मरीजों को सही तरीके से नहीं मिल पाती हैं. कार्टून में पुड़िया बना कर दवाइयां वार्ड में एक जगह रख दी जाती हैं. मरीजों को खुद दवाइयां लेनी पड़ती हैं. डॉक्टर जल्द वार्डों में राउंड पर नहीं जाते. हाजिरी बना कर अपने चेंबर में ही रहते हैं. इसका प्रमाण है कि मरीजों के बीएचटी पर चल रही दवाइयों की हिस्ट्री भी नहीं रहती. सीसीटीवी कैमरे में भी राउंड पर डॉक्टरों के बहुत कम जाने की पुष्टि हुई है, जबकि डॉक्टरों को नियमित रूप से वार्डों में जाना है. गंभीर मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग करनी है.
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