COVID-19 Update : ‘लॉकडाउन’ के बीच साइकिल से बिहार जाने का प्रयास कर रहे सात श्रमिकों को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा
कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाये गये लॉकडाउन के बीच साइकिलों से बिहार स्थित अपने गांव लौटने के लिए दिल्ली की झील खुर्द सीमा को पार करने का प्रयास कर रहे सात श्रमिकों पुलिस ने सोमवार की रात पकड़ लिया.
नयी दिल्ली/मधुबनी : कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाये गये लॉकडाउन के बीच साइकिलों से बिहार स्थित अपने गांव लौटने के लिए दिल्ली की झील खुर्द सीमा को पार करने का प्रयास कर रहे सात श्रमिकों पुलिस ने सोमवार की रात पकड़ लिया. पुलिस न बताया कि ये श्रमिक दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी के सुल्तानपुर गांव स्थित एक कॉलोनी में किराये के मकान में रह रहे थे.
बिहार के रहने वाले श्रमिकों के पास नहीं था कोई काम
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया, ‘‘पुलिस ने उन्हें जब रोका तो श्रमिकों ने बताया कि वे बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं और लॉकडाउन के कारण यहां उनके पास कोई काम नहीं था.” जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उन्होंने कहा कि उन्हें भोजन मिल रहा है.
श्रमिक बोले, जाना चाहते हैं घर
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनके पास कोई काम नहीं है और वे घर जाना चाहते हैं. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए गत मंगलवार को लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ा दी थी. देश में गत 24 मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ है.
लॉकडाउन : साइकिल से घर जा रहे बिहार के दो लोगों की नेपाल में मौत
काठमांडू/मोतिहारी : कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर लागू लॉकडाउन में साइकिल से घर वापस जा रहे दो भारतीय नागरिकों की नेपाल में एक तीखे मोड़ पर गिरने से मौत हो गयी. पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. ललितपुर में पुराने अखबारों और पुन: प्रयोज्य वस्तुओं को इकट्ठा करने का काम करने वाले मुकेश गुप्ता और संतोष महतो बिहार के मोतिहारी में अपने घर जा रहे थे.
दोनों मृतक के पास खत्म हो गये थे पैसे
रविवार को उनकी साइकिल कांतिपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर झाकरीडाड़ा में पहाड़ी सड़क से लगभग 150 मीटर नीचे गिर गयी. उनके पास पैसे खत्म हो गये थे और लॉकडाउन भी तीन सप्ताह के बाद भी जारी रहा इसलिए उन्होंने दो अन्य लोगों के साथ साइकिल से घर वापस जाने का फैसला किया. चारों व्यक्ति दो साइकिलों पर सवार थे.
इस बात का पता नहीं चल पाया है कि रास्ते में वे सभी एक-दूसरे से अलग कैसे हुए क्योंकि संतोष महतो के पिता दीनानाथ महतो और मुन्ना गुप्ता मोतिहारी में अपने घर पहुंच गये थे, जबकि उन दोनों की मौत हो गयी.